Ganesh Chaturthi 2022 Ekdant Katha: देशभर में आज गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है. 10 दिन यानी की अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 (Anant Chaturdarshi 2022) तक भक्तिभाव से बप्पा की पूजा की जाएगी. बुद्धि और सिद्धि के देवता गणपति की आराधना से ज्ञान, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. विघ्नर्हता, गजानन, लंबोदर, एकाक्षर ,एकदंत भगवान गणेश को अनेकों नाम से पुकारा जाता है. क्या आप जानते हैं गणपति का एक दांत क्यों टूटा हुआ है ?कैसे वो एकदंत कहलाए? किसने तोड़ा उनका ये दांत ?आइए जानते हैं गणपति के एकदंत बनने की रोचक कथा.
गणपति कैसे बने एकदंत ? (How lord ganesh become ekdant)
गणपति के एक दांत टूटने की कई कथा प्रचलित है. भविष्य पुराण के अनुसार एक बार महादेव के परम भक्त परशुराम उनसे भेंट करने कैलाश पहुंचे. भोलेनाथ तपस्या में लीन थे तो भगवान गणेश ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने के लिए रोक दिया. परशुराम जी गणपति से बहुत विनती की लेकिन वो नहीं माने. परशुराम जी क्रोधित हो उठे. इसके बाद गणेश जी और परशुराम जी युद्ध शुरु हो गया.
टूटे दांत से लिखी महाभारत
युद्ध के समय परशुराम जी के फरसे से गणपति का एक दांत टूट गया. भगवान गणेश दर्द से कहरा उठे. गणपति की पीड़ा देखकर मां पार्वती परशुराम जी पर क्रोधित हो गईं. बाद में परशुराम जी ने देवी पार्वती से क्षमा याचना की और बप्पा को अपना तेज, बल और ज्ञान प्रदान किया. धार्मिेक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश ने अपने इसी टूटे दांत से महर्षि वेदव्यास से उच्चरित महाभारत लिखी थी. कहते हैं गणपति की पूजा में उन्हें गीले अक्षत करते अर्पित करना चाहिए. दांत टूट जाने की वजह से गीले चावल ग्रहण करना उनके लिए आसान होता है.
क्यों टूटा दांत हाथ में रखते हैं गणपति ?
एक और पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार कार्तिकेय अपने कार्य में मग्य थे. गणपति जी उनके कार्य में बार-बार विघ्न डाल रहे थे. गुस्से में आकर कार्तिकेय ने गणपति का एक दांत तोड़ दिया. महादेव के समझाने पर कार्तिकेय ने गणपति को दांत वापस कर दिया लेकिन साथ ही एक श्राप दिया कि ये टूटा दांत गणेश को सदा अपने हाथ में रखना होगा. अगर गणेश ने इसे खुद से अलग किया तो यही टूटा दांत इन्हें भष्म कर देगा.
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