Ganesh Chaturthi 2022 Arti: विघ्नहर्ता की आराधना का पर्व गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 (Ganesh utsav 2022 date) को है. गणपति बुद्धि, सुख-समृद्धि देने वाले देवता कहलाते हैं. गणेश उत्सव में 10 दिन तक जो इनकी विधिवत पूजा अर्चना करता है उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं. हर बाधा टल जाती है. गणेश महोत्सव में सुबह-शाम गणपति की पूजा आरती करना चाहिए. आइन जानते हैं रिद्धी सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी की आरती.


गणेश जी की आरती:


1- जय गणेश, जय गणेश


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥


 


एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।


माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥


जय गणेश जय गणेश......


 


पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।


लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥


जय गणेश जय गणेश.....


 


अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।


बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥


जय गणेश जय गणेश.....


 


दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।


कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥


जय गणेश जय गणेश.....


 


'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।


भक्तों के दुखों को दूर करो देवा ॥


जय गणेश जय गणेश....


2 - जय देव, जय देव


सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची


नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची


सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची


कंठी झलके माल मुकताफळांची


 


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति


जय देव जय देव


 


रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा


चंदनाची उटी कुमकुम केशरा


हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा


रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया


 


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति


जय देव जय देव


 


लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना


सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना


दास रामाचा वाट पाहे सदना


संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना


 


जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति


दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति


जय देव जय देव


 


शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को


दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को


हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को


महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को


 


जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव


 


अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी


विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी


कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी


गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी


 


जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव...


 


भावभगत से कोई शरणागत आवे


संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे


ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे


गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे


 


जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता


धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता


जय देव जय देव


3 - गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरे


गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरे।


तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें,अरु आनन्द सों चमर करैं।


धूप-दीप अरू लिए आरतीभक्त खड़े जयकार करैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


गुड़ के मोदक भोग लगत हैंमूषक वाहन चढ्या सरैं।


सौम्य रूप को देख गणपति केविघ्न भाग जा दूर परैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थीदिन दोपारा दूर परैं।


लियो जन्म गणपति प्रभु जीदुर्गा मन आनन्द भरैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


अद्भुत बाजा बजा इन्द्र कादेव बंधु सब गान करैं।


श्री शंकर के आनन्द उपज्यानाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


आनि विधाता बैठे आसन,इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।


देख वेद ब्रह्मा जी जाकोविघ्न विनाशक नाम धरैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


एकदन्त गजवदन विनायकत्रिनयन रूप अनूप धरैं।


पगथंभा सा उदर पुष्ट हैदेव चन्द्रमा हास्य करैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


दे शराप श्री चन्द्रदेव कोकलाहीन तत्काल करैं।


चौदह लोक में फिरें गणपतितीन लोक में राज्य करैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


उठि प्रभात जप करैंध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं


पूजा काल आरती गावैं।ताके शिर यश छत्र फिरैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥


 


गणपति की पूजा पहले करने सेकाम सभी निर्विघ्न सरैं।


सभी भक्त गणपति जी केहाथ जोड़कर स्तुति करैं॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा...


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