Ganesh Chaturthi 2023 Date: हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो अनंत चतुर्दशी तक चलती है. गणेश चतुर्थी के दिन घरों, पंडालों में रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति जी विराजमान होते हैं.
मान्यता है कि इन दस दिनों तक गणेश जी कैलाश से धरती पर भक्तों के बीच रहकर उनकी हर समस्या दूर करते हैं. यही कारण है कि पूरे भारत में इस महोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस साल गणेश उत्सव कब से शुरू होगा, गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का मुहूर्त और महत्व.
10 दिवसीय गणेश उत्सव 2023 कब ? (When is Ganesh Chaturthi 2023 Date)
इस साल गणेश उत्सव का 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी से होगा. इसकी समाप्ति 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्थी पर होगी. आखिरी दिन बप्पा की मूर्ति का विर्सजन होता है.
गणेश चतुर्थी 2023 मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2023 Sthapana Muhurat)
गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, इससे घर में शुभ और लाभ की प्राप्ति होती है. गौरी पुत्र परिवार के समस्ता दुख हर लेते हैं.
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू - 18 सितंबर 2023, दोपहर 12.39
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त - 19 सितंबर 2023, दोपहर 01.43
- गणेश स्थापना समय - सुबह 11.07 - दोपहर 01.34 (19 सितंबर 2023)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja vidhi)
- गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ कर लें.
- अब पूजा की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं. शुभ मुहूर्त में पूर्व में मुख करते हुए गणपति को चौकी पर स्थापित करें.
- अब गणेश जी पर दूर्वा से गंगाजल छिड़कें. उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें.
- अब भगवान श्री गणेश के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें. लड्डू या मोदक का भोग लगाएं फिर आरती कर दें.
- इसी तरह 10 दिन तक रोज सुबह शाम पूजा कर आरती करें और भोग लगाएं.
10 दिन तक गणेश उत्सव क्यों मनाते हैं ? (Why We Celebrate Ganesh Utsav ?)
पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन शंकर और पार्वती माता के पुत्र गणपति जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. गणेश उत्सव में 10 दिन तक बप्पा की विधिवत पूजा अर्चना करता है उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं. वहीं एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया था. व्यास जी श्लोक बोलते गए और गणपति जी बिना रुके 10 दिन तक महाभारत को लिपिबद्ध लिखते गए. दस दिन में गणेश जी पर धूल मिट्टी की परत जम गई. 10 दिन बाद यानी की अनंत चतुर्दशी पर बप्पा ने सरस्वती नदी में स्नान कर खुद को स्वच्छ किया, उसके बाद से ही दस दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाने लगा.
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