Ganesh Chaturthi 2023: भगवान गणेश को प्रथम देव माना जाता है. किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले लंबोदर की पूजा जरूर की जाती है. इस साल 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाया जाएगा और बप्पा के भक्त गणपति की प्रतिमा को घर में लाकर उनकी भक्ति भाव से पूजा करेंगे.


गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म और शुक्ल योग (Ganesh Chaturthi 2023 Shubh Yog)


इस साल गणेश चतुर्थी पर लगभग 300 साल बाद अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है. इस बार गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म योग और शुक्ल योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है. इस दौरान भक्त बप्पा को अपने घर लाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं.


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है. गणेश महोत्सव का पर्व चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता है. वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है. इस बार उदया तिथि के आधार पर 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाने वाला है. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, इससे श्राप लगता है. वहीं गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, आने वाले 19 सितंबर 2023 को भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.  हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थि तिथि को देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व उत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों से लेकर घर-घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाएगी और पूरे 10 दिनों तक बप्पा की अराधना के बाद शीघ्र आने की कामना के साथ उनका विसर्जन किया जाएगा. 19 सितंबर को गणेश जी की मूर्ति स्थापना की जाएगी और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अराधना की जाएगी. गणेश जी की मूर्ति स्थापना एक विशेष विधि से की जाती है.


गणेश चतुर्थी 2023 तिथि (Ganesh Chaturthi 2023 Date) 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक, इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02:09 मिनट पर होगी. वहीं 19 सितंबर 2023 को दोपहर 03:13 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदय तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को रहेगी.


गणेश चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2023 Shubh Muhurat)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर घर-घर भगवान गणेश की स्थापना करने का महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने पर जीवन में सुख-समृद्धि सहित सभी तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होती है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान दिया जाता है. 19 सितंबर को प्रात: काल सूर्योदय से लेकर के दोपहर 12:53 बजे तक कन्या, तुला, वृश्चिक लग्न में भगवान गणेश की स्थापना करने का योग है. इस बीच मध्याह्न 11:36 से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में मूर्ति की स्थापना बहुत ही शुभ है. इसके बाद दोपहर 13:45 बजे से 15:00 बजे तक भी शुभ मुहूर्त रहेगा.


गणेश विसर्जन तिथि (Ganesh Visarjan 2023 Date)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. साथ ही इसी दिन बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है. पंचांग के अनुसार गणेश विसर्जन गुरुवार 28 सितंबर 2023 को किया जाएगा.


गणेश चतुर्थी महत्व (Ganesh Chaturthi 2023 Importance)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता और बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन पर अगर आप घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जा रहे हैं तो दोपहर के शुभ मुहूर्त में करना होता है.


गणेश चतुर्थी तिथि लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा उपासना किया जाता है. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. 


गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi 2023 Puja Vidhi)


गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें. फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें. पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है. गणेश जी की आराधना में दूर्वा जरूर रखें.


सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं. चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं. अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें और माथे पर तिलक लगाएं. यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता तो ‘ॐ गं गणपतये नमः इसी मंत्र से सारी पूजा संपन्न कर सकते हैं. हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें. इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें.


पूजा के आरंभ से लेकर अंततक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः. ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप अनवरत करते रहें. आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं. पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं. उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं. पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें. पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्। से पुष्पांजलि करें. इसके बाद गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें.


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