Ganesh Chaturthi 2023 Highlight: गणेश चतुर्थी आज, जानें कब होगा बप्पा का विसर्जन, नोट करें डेट, मुहूर्त
Ganesh Chaturthi 2023 Puja Muhurt highlight: भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन यानि आज गणेश चतुर्थी पर बप्पा की स्थापना हो चुकी है. जानें 10 दिन गणेश जी की पूजा विधि, मंत्र, नियम और उपाय
अगले साल यानि 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इसका समापन 17 सितंबर को होगा. हर साल बप्पा के भक्तों को गणेश चतुर्थी का बेसब्री से इंतजार रहता है.
शीघ्र विवाह के लिए गणेश उत्सव में सुबह स्नान के बाद 108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर गणपति को अर्पित करें. हर दूर्वा को चढ़ाते समय 'श्री गजवक्त्रं नमो नम:' मंत्र का मन ही मन जप करते रहें. मान्यता है इससे विवाह में आ रही अड़चने दूर होती है
सुबह 6.09 - सुबह 7.39
सुबह 10.43 - दोपहर 3.15
शाम 4.48 - रात 9.15
प्रात: 12.15 - प्रात: 1.42, 22 सितंबर
21 सितंबर 2023 | 06:09 AM- 3.35 PM |
22 सितंबर 2023 | 03.34 PM - 06.10 AM, 23 सितंबर |
28 सितंबर 2023 | 06:12 AM- 01.48 AM, 29 सितंबर |
20 सितंबर 2023 | 2.59 PM - 6.09 AM, 21 सितंबर |
21 सितंबर 2023 | 6.09 AM - 2.14 |
25 सितंबर 2023 | 11.55 AM - 05.00 AM, 26 सितंबर |
27 सितंबर 2023 | 6.12 AM- 10.18 PM |
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रोदय समय सुबह 09.45 से रात 08.44 तक रहेगा. इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लगता है, क्योंकि बप्पा ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि इस दिन जो चांद के दर्शन करेगा उसे दंड मिलेगा. यही वजह है विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा नहीं देखा जाता.
गणेश उत्सव 10 दिन तक चलता है. गणेश चतुर्थी पर बप्पा का आगमन होता है, मूर्ति स्थापना होती है तो वहीं अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023 को है, इस दिन बप्पा को विदाई दी जाएगी.
गणेश चतुर्थी की रात बप्पा के सामने चौमुखी घी का दीपक लगाकर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र 108 बार जाप करें. मान्यता है ऐसा करने से आपको शिक्षा संबंधी हर परेशानी दूर होती है. बुद्धि में वृद्धि होती है. अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोरी है तो उसका मानसिक विकास होता है.
गणेश उत्सव के दौरान हर घर, दुकान, चौक-चौराहों पर गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है. पुराणों में गणेश जी की पीठ के दर्शन करना वर्जित माना गया है. ऐसे में इस दौरान गणेश जी की मूर्ति पीछे से न देखें. मान्यता है कि श्रीगणेश की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है. उनकी पीठ के दर्शन करने पर कंगाल आने लगती है.
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ) - दोपहर 3:18 - शाम 6:21
सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 7:49 - प्रात: 12:15, सितम्बर 21
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) - प्रात: 03:12 - प्रात: 04:40, सितम्बर 21
गणपति जी को 10 दिन तक सुबह-शाम रोजाना भोग लगाएं. मान्यता है उनकी प्रिय चीजों का प्रसाद अर्पित करने पर वह जल्द प्रसन्न होते हैं और जातक की सभी मनोकामना पूरी होती है. गणेश उत्सव में बप्पा को नारियल, लड्डू, मोदक, पंचमेवा, श्रीखंड, कलाकंद, खीर, हलवा, बर्फी का भोग लगाएं.
कथा के अनुसार गणेश जी के विवाह में परेशानी आ रही थी, परेशान होकर वह देवी देवताओं के विवाह में बाधा डालने लगे. एक बार ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि- सिद्धि को गणेश जी से शिक्षा लेने के लिए कहा. रिद्धि-सिद्धि ने गणपति का ध्यान भटकाने की कोशिश की, तभी सभी विवाह बिना विघ्न के संपन्न हो गए. गणेश जी को जब ये पता लगा तो वो रिद्धि और सिद्धि को श्राप देने लगें. तब ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. ऐसे गणपति की दो पत्नियां हुईं
- गणेश चतुर्थी के दिन इन चीजों की खरीदारी करना बेहद जरुरी होता है. इस दिन गणेश जी को दूर्वा घास जरुर अर्पित करें.
- भगवान गणेश को सिंदूर बहुत पसंद है. गणेश जी की सिंदूर जरुर चढ़ाएं.
- मोदक या तो खुद बनाएं वरना बाजार से मोदक लाकर गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं.
- घी गणेश जी को काफी पसंद हैं. घी को उनके खाने और उनकी पूजा में जरुर इस्तेमाल करें.
अगर आप गणपति जी को घर में स्थापित कर रहे हैं तो 10 दिन तक रोज सुबह और शाम उन्हें भोग लगाएं और आरती करें. मूर्ति के पास अंधेरा न होने दें. घर को सूना न करें.
एक बार परशुराम जी शिव-पार्वती जी के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत गए. उस समय शिव-पार्वती निद्रा में थे और गणेश जी बाहर पहरा दे रहे थे. उन्होंने परशुराम जी को रोका. इस पर विवाद हुआ और परशुराम जी ने अपने परशु से उनका एक दाँत काट डाला. इसलिए गणेश जी ‘एकदन्त’ के नाम से प्रसिद्ध हुए.
विवाह के बहुत दिनों बाद तक संतान न होने के कारण पार्वती जी ने श्रीकृष्ण के व्रत से गणेश जी को उत्पन्न किया. शनि ग्रह बालक गणेश को देखने आए और उनकी दृष्टि पड़ने से गणेश जी का सिर कटकर गिर गया. फिर विष्णु जी ने दोबारा उनके हाथी का सिर जोड़ दिया.
एक बार पार्वती जी स्नान करने के लिए जा रही थीं. उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण फूंके और घर की रक्षा के लिए उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया. ये द्वारपाल गणेश जी थे. शिवजी को गृह में प्रवेश करने से रोका तो शंकरजी ने रुष्ट होकर युद्ध में उनका मस्तक काट दिया. जब पार्वती जी को इस बारे में पता चला तो वह दुःख में विलाप करने लगीं. उनको प्रसन्न करने के लिए शिवजी ने गज(हाथी) का सर काटकर गणेश जी के धड़ पर जोड़ दिया. गज का सिर जुड़ने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा.
गणेश चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है. इस दिन गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. गणेश जी की स्थापना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. गणेश जी को चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है. उनकी चौकी के दाहिने तरफ जल रखा जाता है.
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की वंदना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन गणेश जी के यह 5 चमत्कारी मंत्र आपको हर समस्या से मु्क्ति दिला सकते हैं. आइये जानते हैं कौन से हैं वो मंत्र-
- ॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
- गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥ - ॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
- 'ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।'
- 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'
मुद्गल और गणेश पुराण में विघ्नहर्ता गणेश के 32 मंगलकारी रूप का वर्णन मिवता है, जोकि इस प्रकार हैं-
श्रीबाल गणपति, तरुण गणपति, भक्त गणपति, वीर गणपति, शक्ति गणपति, द्विज गणपति, सिद्धि गणपति, उच्छिष्ट गणपति, विघ्न गणपति, क्षिप्र गणपति, हेरम्ब गणपति,लक्ष्मी गणपति, महागणपति,विजय गणपति, नृत्य गणपति, उर्ध्व गणपति, एकाक्षर गणपति, वर गणपति, त्र्यक्षर गणपति, क्षिप्रप्रसाद गणपति, हरिद्रा गणपति, एकदंत गणपति, सृष्टि गणपति, उद्दंड गणपति, ऋणमोचन गणपति, ढुण्ढि गणपति, द्विमुख गणपति, त्रिमुख गणपति, सिंह गणपति, योग गणपति, दुर्गा गणपति, संकष्टहरण गणपति.
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदंत दयावंत चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश...
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंघे को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजै सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
ज्योतिष के अनुसार,गणेश चतुर्थी पर गजकेसरी और वैघृति योग बना है. यह योग 17 सितंबर को बना था, जोकि 20 सितंबर तक रहेगा. गणेश चतुर्थी पर बना यह योग मेष, मिथुन, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए शुभ रहेगा. भगवान गणेश की कृपा से आपको आर्थिक लाभ हो सकता है.
मुंबई (Mumbai) | 11:19 AM से 01:43 PM |
पुणे (Pune) | 11:15 AM से 01:41 PM |
नई दिल्ली (New Delhi) | 11:01 AM से 01:28 PM |
नोएडा (Noida) | 11:01 AM से 01:28 PM |
गुरुग्राम (Gurugram) | 11:02 AM से 01:29 PM |
चेन्नई (Chennai) | 10:50 AM से 01:16 PM |
जयपुर (Jaipur) | 11:07 AM से 01:34 PM |
हैदराबाद (Hyderabad) | 10:57 AM से 01:23 PM |
चंडीगढ़ (Chandigarh) | 11:03 AM से 01:30 PM |
कोलकाता (Kolkata) | 10:17 AM से 12:44 PM |
बैंगलोर (Bengaluru) | 11:01 AM से 01:26 PM |
अहमदाबाद (Ahmedabad) | 11:20 AM से 01:43 PM |
गणपति उत्सव के लिए सभी उत्साहित रहते हैं और खासकर बप्पा की मूर्ति स्थापना का सभी को इंतजार रहता है. लेकिन मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. अब बप्पा की मूर्ति स्थापना के लिए कुछ ही समय बाकी है. अगर आप बप्पा की मूर्ति स्थापना करने वाले हैं तो 11 बजकर 18 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट के बीच मूर्ति स्थापना कर सकते हैं. क्योंकि 01:34 तक स्वाति नक्षत्र रहेगा.
भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना 10 दिनों तक की जाती है और प्रतिदिन उनकी पूजा भी की जाती है. पूजा के लिए सबसे पहले श्री गणेश का आवाहन करते हुए ‘ऊं गन गणपतए नमः’ मंत्र का उच्चारण करें और गणेशजी की प्रतिमा पर जल छड़कें. इसके बाद भगवान को हल्दी, चंदन , गुलाल सिंदूर ,मौली ,दूर्वा ,जनेऊ , मिठाई ,मोदक ,फल , माला, और फूल सभी चीजें एक-एक कर भगवान को अर्पित करें. भगवान का सभी चीजें अर्पित करने के बाद धूप, दीप के साथ आरती करें और पूजा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित करें.
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा सुबह 09:45 मिनट पर निकलेगा और रात 08:44 मिनट पर अस्त होगा. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा सुबह के समय निकलता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठे आरोप लगते हैं.
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।।
गणेश जी की मूर्ति की स्थापित करते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें. गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन की पूजा में भी आप इसका जाप कर सकते हैं.
रवि योग को पूजा-पाठ और विशेष कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. आज गणेश चतुर्थी पर रवि योग में बप्पा का आगमन होगा. मंगलवार 19 सितंबर को सुबह 06:08 से रवि योग शुरू गो जाएगा, जो दोपहर 01:48 तक रहेगा. ऐसे में गणपति की स्थापना और पूजा रवि योग में की जाएगी.
आज गणेश चतुर्थी पर सुबह से ही भद्रा लगा है. भद्राकाल सुबह 06:08 से दोपहर 01:43 तक है. लेकिन गणेश जी की पूजा और मूर्ति स्थापना पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस भद्रा का वास पाताल लोक में होगा.
इस साल गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग का अद्भुत संयोग बना है. साथ ही स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे.
गणेश चतुर्थी पर आज विशेष मुहूर्त की बात करें तो, सुबह 09:10 से दोपहर 01:43 के दौरान चर, लाभ और अमृत के शुभ मुहूर्त हैं. ऐसे में गणपति की स्थापना आप सुबह 09:10 से दोपहर 01:43 के बीच कर सकते हैं. लेकिन सुबह 11:01 से विशाखा नक्षत्र में वृश्चिक लग्न में श्रीगणेश की स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा.
आज सुबह से ही चतुर्थी तिथि लग गई है, जोकि दोपहर 01:43 तक है. चतुर्थी तिथि को देखते हुए आप दोपहर 01:43 तक गणपति की स्थापना कर लें.
Ganesh chaturthi 2023: घर में गणेश यानि की बप्पा की मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त पंचांग के मुताबिक 19 सितंबर 2023 को सुबह 11: 08 मिनट से दोपहर 01: 33 मिनट तक रहेगा.
Ganesh Chaturthi 2023: पंचांग अनुसार 19 सितंबर 2023 का चौघड़िया मुहूर्त
चर (सामान्य) - सुबह 09.11 - सुबह 10.43
लाभ (उन्नति) - सुबह 10.43 - दोपहर 12.15
अमृत (सर्वोत्तम) - दोपहर 12.15 - दोपहर 01.3
Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी का पर्व कल है. प्रथम दिन घरों और पंडालों में गणपति में स्थापित किया जाएगा. गणेश जी की मूर्ति और स्थापना का मुहूर्त विशेष माना गया है, जिसका पालन करना चाहिए.
गणेश जी की पूजा का समय
माना जाता है कि गणेश जी का जन्म दोपहर के समय हुआ था, इसलिए पूजा के लिए यही समय सबसे उत्तम है. इस समय षोडशोपचार गणपति पूजा भी की जाती है. इस समय को गणेश जी की स्थापना के लिए अच्छा माना गया है.
गणेश चतुर्थी 2023 स्थापना मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2023 Muhurat)
गणेश जी स्थापना मुहूर्त - सुबह 11.01 - दोपहर 01.28 (अवधि - 2.27 मिनट).
घर में स्थापित करने के लिए गणपति की बाईं सूंड वाली मूर्ति लाएं. ये शुभ मानी जाती है. दाईं ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता हैं ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है, इसमें जरा सी गलती मुसीबत बन सकती है.
गणेश चतुर्थी इस साल कई शुभ संयोग लेकर आ रही है, इस दिन शश, गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं. इसके अलावा रवि और इंद्र योग का निर्माण होगा. वहीं 7 साल बाद गणेश चतुर्थी के दिन सोमवार पड़ रहा है, जिससे बप्पा संग उनके पिता शिव भी भक्तों पर मेहरबान रहेंगे.
चर (सामान्य) - सुबह 09.11 - सुबह 10.43
लाभ (उन्नति) - सुबह 10.43 - दोपहर 12.15
अमृत (सर्वोत्तम) - दोपहर 12.15 - दोपहर 01.37
धार्मिक मान्यता के अनुसार भादौ चतुर्थी के दिन माता पार्वती ने मिट्टी के गणेश बनाए थे. ऐसे में इस दिन पूजा के लिए गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति, पूजा के लिए चौकी, लाल या पीला कपड़ा, कलश, इलाइची, पान, दूर्वा, पंचामृत, मोदक या बेसन के लड्डू, सुपारी, पंचमेवा, अक्षत, सुपारी, लौंग, , आम के पत्ते, सिंदूर, लाल फूल, जनेऊ, गंगाजल, कुमकुम, हल्दी, मौली,नारियल, घी, कपूर, चंदन, धूप इक्ठ्ठा कर लें
पौराणिक कथा के अनुसार गणपति का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न का समय गणपति स्थापना और पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. 19 सितंबर 2023 को गणपति स्थापना के लिए सुबह 11.01 से दोपहर 01.28 तक का शुभ मुहूर्त है.
बैकग्राउंड
Ganesh Chaturthi 2023 highlight: गणेश चतुर्थी से 10 दिन के गणपति उत्सव शुरू हो जाते हैं. इस दिन हर घर में बप्पा विराजमान होते है,जगह-जगह गजानन के आगमन के लिए झांकियां सजाई जाती है. कहते हैं भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन माता पार्वती के लाल गणपति का जन्म हुआ था. कहते हैं उस दिन स्वाति नक्षत्र और अभिजित मुहूर्त में गणपति जन्में थे. 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी पर भी यही संयोग बन रहा है. ऐसे में इस साल गणेश उत्सव में भक्तों को बप्पा का विशेष आशीर्वाद मिलेगा
पौराणिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गौरी पुत्र गणेश पृथ्वी पर वास करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो लोग घर में गणपति जी की स्थापना करते हैं बप्पा उनके समस्त संकट, दुख, दरिद्रता हर लेते हैं. गणेश जी के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है. जातक के बिगड़े काम बनने लगते हैं.
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी के दिन प्रथम पूजनीय गणेश जी का जन्म हुआ था. वैसे तो गणेश उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसकी रौनक खास होती है. इस दिन व्रत रखकर घर या दुकान में गणपति की स्थापना करने से धन, नौकरी, शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अंत होता है. कहते हैं बप्पा घर में खुशियां लेकर आते हैं और हमारी सारी परेशानियां लेकर चले जाते हैं.
ऐसे करें घर में गणपति की स्थापना
गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की बाईं सूंड वाली मिट्टी की मूर्ति लेकर आएं. मिट्टी के अलावा गाय के गोबर, सुपारी, सफेद मदार की जड़, नारियल, हल्दी, चांदी, पीतल, तांबा और स्फटिक से बनी मूर्तियों की भी स्थापना कर सकते हैं. घर के लिए बैठे हुए और कार्यस्थल के लिए खड़े हुए गणपति लाना शुभ होता है. पूर्व या ईशान कोण में गणपति की स्थापना करें. रोजाना सुबह-शाम 10 दिन तक उन्हें भोग लगाएं और आरती करें.
कब है अनंत चतुर्दशी 2023 ? (When is Anant Chaturdarshi 2023)
इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023, गुुरुवार को है.मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजन कर बप्पा का विसर्जन किया जाता है.
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