नई दिल्ली: आज देश भर में गणेश चुतर्थी का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है. हर आम ओ खास जोर-शोर से गजानन का स्वागत कर रहा है. हिंदू मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में भगवान गणेश का जन्म हुआ था. देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र गणेश को देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की प्रथम पूजा क्यों की जाती है.
शिव पुराण के अनुसार एक बार देवताओं में प्रथम पूजा को लेकर विवाद हो गया. कोई भी इस बात पर सहमत नहीं हो पा रहा था कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी. विवाद को बढ़ता देख महर्षि नारद ने सभी को भगवान शिव की शरण में जाने के लिए कहा. जब सारे देवता भगवान शिव के पास पहुंचे तो उन्होंने इस विवाद को खत्म करने के लिए एक युक्ति निकाली.
भोलेनाथ ने सभी देवताओं के मध्य एक प्रतियोगिता का आयोजन किया, उन्होंने कहा कि जो भी देवता सबसे पहले ब्रह्माण्ड के तीन चक्कर लगाएगा उसे प्रथम पूज्य माना जाएगा. प्रतियोगिता की शुरुआत होते ही सभी देवता अपने वाहन पर विराजमान होकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े.
भगवान गणेश के वाहन मूषक की गति बहुत धीमी थी, जिस वजह से उन्होंने अपनी बुद्धि-चातुर्य का परिचय देते हुए अपने माता-पिता की ही तीन परिक्रमा कर ली. गणेश के इस बुद्धि-चातुर्य और मातृ-पितृ भक्ति को देखकर त्रिदेव ने उन्हें आशिर्वाद दिया और देवताओं में प्रथम पूज्य माना. इसके बाद से ही हर शुभ काम से पहले गणेश की पूजा की जाती है.
10 दिन तक चलने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदुओं के कैलेंडर के मुताबिक भाद्रपद के महीने में मनाया जाता है, जो कि अगस्त या सितंबर में पड़ता है. पर्व की शुरुआत चौथे दिन यानि की शुक्ल चतुर्थी के दिन से होती है. उन्हें इस मौके पर विघ्नहर्ता का दर्जा दिया जाता है और ये कामना की जाती है कि बुद्धिमत्ता और समृद्धि के भगवान गणेश सभी परेशानियों को दूर कर देंगे.
भारत में महाराष्ट्र में इस पर्व का विशाल रूप से आयोजन किया जाता है और इस मौके पर खूबसूरत रंगबिरंगे पंडालों को 10 दिनों तक सजाया जाता है. गणेश चतुर्थी का पर्व भारत में शुरू ज़रूर हुआ लेकिन केवल भारत तक सीमित नहीं है. इसे पड़ोसी देश चीन और नेपाल में भी मनाया जाता है. इसी के साथ थाईलैंड, अफ़ग़ानिस्तान और इंडोनेशिया में भी गणेश चतुर्थी का आयोजन होता है.
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