दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में लगातार 22 वें साल धूमधाम से मनाया जा रहा है गणेश चतुर्थी का उत्सव
दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में लगातार 22 वें साल भगवान गणेश की प्रतिमा रखी गयी और धूमधाम से पूजा पाठ किया गया. दिल्ली के कापरनिकस मार्ग पर बने महाराष्ट्र सदन में गणेश चतुर्थी के पहले दिन गणपति बाप्पा की पूजा हो रही है.
नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी की शुरुआत वैसे तो महाराष्ट्र से हुई थी लेकिन वक्त से साथ-साथ ये त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा. दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में लगातार 22 वें साल भगवान गणेश की प्रतिमा रखी गयी और धूमधाम से पूजा पाठ की गई. दिल्ली के कापरनिकस मार्ग पर बने महाराष्ट्र सदन में गणेश चतुर्थी के पहले दिन बाप्पा की पूजा हो रही है. भगवान गणेश की सुंदर प्रतिमा की स्थापना गई है और श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने दूर दूर से आ रहे हैं. भक्त अपने प्रिय भगवान को भेंट करने के लिए उनकी पसंद की चीजें मोदक, बूंदी के बड़े बड़े लड्डू और हरे दूब की माला भी ला रहे हैं.
हिंदू मान्यता के अनुसार आज ही के दिन यानी भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में भगवान गणेश का जन्म हुआ था. देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र गणेश को देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है. गणेश चतुर्थी का पर्व भारत में शुरू ज़रूर हुआ लेकिन केवल भारत तक सीमित नहीं है. इसे पड़ोसी देश चीन और नेपाल में भी मनाया जाता है. इसी के साथ थाईलैंड, अफ़ग़ानिस्तान और इंडोनेशिया में भी गणेश चतुर्थी का आयोजन होता.
10 दिन तक चलने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदुओं के कैलेंडर के मुताबिक भाद्रपद के महीने में मनाया जाता है, जो कि अगस्त या सितंबर में पड़ता है. पर्व की शुरुआत चौथे दिन यानि की शुक्ल चतुर्थी के दिन से होती है. उन्हें इस मौके पर विघ्नहर्ता का दर्जा दिया जाता है और ये कामना की जाती है कि बुद्धिमत्ता और समृद्धि के भगवान गणेश सभी परेशानियों को दूर कर देंगे.
गणेश चतुर्थी स्पेशल: देखिए दिल्ली में कैसे मनाया गया गणेशोत्सव