Ganesh Ji Motiovational Quotes: माता-पिता से बढ़कर संसार में कोई तीर्थ, देवता और गुरु नहीं है और ये बात सबसे पहले गणपति जी ने पूरे ब्रह्मांड को बताई थी. पुराणों में भी कहा गया है कि जीवन में सुख और सफलता माता पिता के आशीर्वाद के बिना मिलना मुश्किल है.
माता-पिता के खुश होने पर ही समस्त देवता प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करते है. माता-पिता की सेवा और प्रसन्नता के बिना कोई भी प्राणी पूर्ण रूप से खुशहाल नहीं हो सकता. आइए जानते हैं गणपति जी कैसे श्रेष्ठ बनें और क्या है उनकी सीख.
गणपति ने माता पिता को माना ब्रह्मांड
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं के सामने प्रश्न आया कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी? तब भगवान शिव ने कहा जो सबसे पहले संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा लगा लेगा, वही इस सम्मान को प्राप्त करेगा. भगवान शिव का आदेश मिलते ही सभी देवता अपने अपने वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े.
कठिन से कठिन काम भी मां-पिता की सेवा से होते हैं पूरे
जब गणेश जी की बारी आई तो उन्होंने अपनी बुद्धि से अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी से कहा कि तुमसे बड़ा बुद्धिमान इस संसार में और कोई नहीं है. गणेश जी ने माता और पिता की तीन परिक्रमा की, जिसे तीनों लोकों की परिक्रमा के बराबर माना गया. कठिन से कठिन कार्य भी माता-पिता की सेवा से पूर्ण हो जाते हैं.
गणपति का परिवार देता एकाता की सीख
सभी देवी-देवताओं में गणपति जी ऐसे हैं जिनका परिवार सामूकि रहता है. जिसमें माता-पिता, भाई कार्तिकेय, गणपति की पत्नी रिद्धि-सिद्धि और दो पुत्र शुभ-लाभ साथ रहते है. गणपति जी माता-पिता को श्रेष्ठ मानते हैं वो बताते हैं कि जब इंसान अकेला होता है तो छोटी से छोटी चुनौतियों से भी घबरा जाता है लेकिन परिवार साथ हो तो बड़े से बड़ा संकट भी झेल जाता है. गणपति सीख देते हैं कि एकता में ही ताकत है.
माता-पिता के निर्देश का पालन सर्वोपरि
गणेश जी अपना हर कार्य ईमानदारी और पूरी लगन के साथ संपन्न करते थे. माता-पिता का आदेश को पूरा करना उनके लिए सर्वोपरि होता था. एक बार कि बात है भोलेनाथ को पूर्णिमा पर यज्ञ का आयोजन करना था, जिसमें समस्त देवी, देवता, ऋषियों को न्योता जाना था लेकिन यज्ञ के लिए समय कम था ऐसे में ये कार्य उन्होंने गणपति जी को सौंपा.
गणपति जी ने एक दिन में ही तीनों लोकों के समस्त देवतागणों को आमंत्रित किया.जब शिव जी ने पूछा कि ये कठिन कार्य एक दिन में कैसे पूरा हुआ तो गणपति ने बताया कि उन्होंने शिव के मंत्रों से हवन किया और हर मंत्र के बाद एक-एक देवताओं को आमंत्रण लिखते गए. गणपति ने कहा जब भोलेनाथ में ही सारे देवता ऋषि समाहित हैं ऐसे में उन्हें निमंत्रण देने से सारे देवताओं को आमंत्रण पहुंच गया. इस बात से ये सीख मिलती है कि माता-पिता का कहे का पालन करना संतान का परम कर्तव्य होना चाहिए. उनकी खुशी में ही आपकी खुशी है.
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