Mata Santoshi Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और दिन बुधवार है. यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. भगवान गणेश को बुद्धिदाता के साथ –साथ शुभकर्ता भी माना जाता है. किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य के शुरू करने के पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ताकि उस कार्य में कोई भी विघ्न बाधा न हो. इसीलिए गणपति को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है. इनकी दो पत्नियां - रिद्धि-सिद्धि और दो पुत्र शुभ-लाभ है. इनकी एक पुत्री भी है, जिसे संतोषी माता के नाम से जाना जाता है. आइये जानें इनकी उत्त्पति से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?



ये है संतोषी माता के जन्म की कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश रक्षा बंधन के दिन अपने बहन से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे. तभी गणेश जी के पुत्रों ने इस रस्म के बारे में पूंछा.  तब गणेश जी ने बताया कि यह धागा नहीं बल्कि रक्षासूत्र आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस पर उनके पुत्र शुभ और लाभ ने इस रस्म को पूरा करने के लिए एक बहन की इच्छा प्रकट की. तब भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्प‍न्न की और उसे, दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ सम्मिलित कर लिया. बाद में इसी ज्योति ने एक कन्या का रूप ले लिया. इसी कन्या को संतोषी माता के नाम से जाना जाता है. चूंकि इनका जन्म शुक्रवार को हुआ था. इस लिए संतोषी माता का व्रत शुक्रवार को रखा जाता है.


महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त शुक्रवार के दिन संतोषी माता का नियम पूर्वक व्रत रखकर विधि-विधान से पूजन करता है. उसके घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है. मान्यता है कि जो उनका पूजन करता है माता संतोषी उनके सभी दुख और चिंताओं को दूर कर सकती हैं.