Ganesh Utsav 2022, Shani dev Katha: अभी गणेश उत्सव चल रहा है. बप्पा की जगह-जगह पूजा अर्चना की जा रही है. गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए कई जतन किए जाते हैं. 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdarshi 2022 date) पर गजानन का विसर्जन किया जाएगा. कहते हैं सच्ची श्रद्धा से गौरी पुत्र की उपासना की जाए तो वो हर विघ्न हर लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं सबकी बाधाएं दूर करने वाले गणपति पर भी एक बार गहरा संकट मंडारा था. इसकी वजह थे शनि देव. आइए जानते हैं गणपति और शनि देव की ये कथा.
गणपति और शनि देव की कथा (Ganesh ji and Shani dev katha)
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शिवलोक में भगवान शंकर और माता पार्वती के छोटे पुत्र गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा था. सभी देवी-देवता गणपति को आशीर्वाद देने कैलाश पहुंचे थे. न्याय के देवता शनि देव भी इस उत्सव में शामिल हुए लेकिन वो अपना शीश नीचे झुकाकर खड़े थे. उन्होंने बालक गणेश को देखा नहीं तो मां पार्वती को हैरानी हुई.
जब गणपति पर पड़ी शनि देव की वक्री दृष्टि
माता पार्वती ने शनि देव से सिर झुकाकर खड़े होने और बाल गणेश को न देखने की वजह पूछी. शनि देव ने माता को बताया कि उनकी दृष्टि से गजानन को हानि पहुंच सकती है. मां पार्वती के आग्रह पर शनि देव गणपति को देखने पर मजबूर हो गए. जैसे ही शनि देव की नजर विघ्नहर्ता पर पड़ी उनका सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया. ये देखकर पार्वती जी बेसुध हो गईं.
गजानन को लगाया हाथी का मुख
भगवान विष्णु देवी पार्वती को इस आघात से बाहर निकलने के लिए गरुड़ पर सवार होकर उत्तर दिशा में निकल पड़े सिर की खोज में. श्रीहरिन हाथी का सिर लेकर कैलाश पर लौटे और फिर गणपति को हाथी का मस्तक लगाया गया. इस तरह से भगवान गणेश दोबारा जीवन मिला.
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