Ganesh Utsav 2023: पंचमुखी गणेश की पूजा से मिलता है शीघ्र फल, जानिए पंचकोशों का महत्व
Ganesh Utsav 2023: भगवान गणेश के कई अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें पंचमुखी गणेश भी एक है. पंचमुखी गणेश को ब्रह्मांड, चार दिशा और पंचतत्व का प्रतीक माना जाता है.
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Ganesh Utsav 2023 Panchmukhi Ganesh Puja Importance: गौरीपुत्र और प्रथम पूज्य भगवान गणेश हर कार्य के लिए शुभ और समृद्धिदायक माने जाते है. लेकिन जब एकदंत और लंबोदर गणेश का स्वरूप पंचमुखी हो तो शुभता में कई गुणा वृद्धि हो जाती है. इसलिए पंचमुखी गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है.
भगवान गणेश की पूजा के लिए हर दिन शुभ होता है. लेकिन जब बात हो गणेशोत्सव की तो यह और भी खास हो जाता है. 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी की शुरुआत हुई है और 28 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा. 10 दिवसीय गणेशोत्सव की धूम देशभर में देखने को मिल रही है. मान्यता है कि पंचमुखी गणेश चार दिशाओं और ब्रह्मांड के प्रतीक हैं, जो चारों दिशाओं और पंचत्तवों की रक्षा करते हैं. आइए गणोशोत्सव के इस शुभ मौके पर जानते हैं पंचमुखी गणेश का महत्व.
पंचमुखी गणेश का महत्व
पंच का अर्थ पांच और मुख का मुंह से है. यानी पांच मुंह वाला. इसलिए पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है. भगवान गणेश के ये पांच मुख पंचकोशों का प्रतीक माने जाते हैं. इन्हें पांच तरह का शरीर कहा गया है, जोकि इस प्रकार से हैं-
- अन्नमय कोश- यह पंचकोशों में पहला कोश है. संपूर्ण जड़ जगत जैसे धरती, तारे, ग्रह, नक्षत्र आदि ये सभी अन्नमय कोश कहलाते हैं.
- प्राणमय कोश- दूसरा कोश है दूसरा कोश है. जड़ में प्राण आने से वायु तत्व धीरे-धीरे जागता है और उससे कई तरह के जीव प्रकट होते हैं. यह प्राणमय कोश कहलाता है.
- मनोमय कोश- यह तीसरा कोश है. प्राणियों में मन जाग्रत होता है और जिनमें मन अधिक जागता है वही मनुष्य बनता है.
- विज्ञानमय कोश- विज्ञानमय कोश चौथा कोश है. सांसारिक माया भ्रम का ज्ञान जिसे प्राप्त हो जाए. सत्य के मार्ग चलने वाली बोधि विज्ञानमय कोश में होता है.
- आनंदमय कोश- यह पांचवा कोश है. कहा जाता है कि इस कोश का ज्ञान प्राप्त करने के बाद मानव समाधि युक्त अतिमानव हो जाता है और मनुष्यों में भगवान बनने की शक्ति होती है. इस कोश का ज्ञान प्राप्त होते ही मनुष्य सिद्ध पुरुष हो जाता है.
कहा जाता है कि जो मानव इन पांचकोशों का ज्ञान का ज्ञान प्राप्त कर मुक्त होता है, वह ब्रह्मलीन हो जाता है. भगवान गणेश के इन पांच मुख सृष्टि के इन्हीं पांच रूपों का प्रतीक है.
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