Ganesh Visarjan Story: देशभर में गणपति महोत्सव (ganpati mahotasav) शुरू हो चुकी है. हर जगह 'गणपति बप्पा मोरया' (ganpati bappa morya) के जयकारे सुनाई दे रहे हैं. धीरे-धीरे समय आ रहा है गणपति को विदाई (ganpati vidai) देने का. ऐसे में शुभ मुहूर्त के अनुसार लोग बप्पा का विसर्जन (bappa visarjan) करते हैं. 10 दिन तक बप्पा को घर में रखने के बाद अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi) के दिन गणपति का जल में विसर्जन (ganpati visarjan in water) किया जाता है. इस साल गणपति विसर्जन 19 सितंबर (ganpati visarjan on 19th september) को मनाई जाएगी. बप्पा को घर से विदा करना भक्तों के लिए काफी भावुक पल होता है. घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने के बाद उन्हें विदा करना भक्तों को उदास कर देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं गणपति को जल में ही क्यों विसर्जित किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी-


गणेश विसर्जन की कहानी (story of ganpati visarjan)
गणेश महोत्सव का आखिरी दिन गणेश विसर्जन की परंपरा है. 10 दिवसीय महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के बाद होता है. परंपरा है कि विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति का नदी, समुद्र या जल में विसर्जित करते हैं. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. ऐसा माना जाता है कि श्री वेद व्यास जी ने गणपति जी को गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत की कथा सुनानी शुरू की थी, उस समय बप्पा उसे लिख रहे थे. कहानी सुनाने के दौरान व्यास जी आंख बंद करके गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे और गणपति जी लिखते गए. कथा खत्म होने के 10 दिन बाद जब व्यास जी ने आंखे खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था. ऐसे में व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए जल में डुबकी लगवाई. तभी से यह मान्‍यता है कि 10वें दिन गणेश जी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन जल में किया जाता है.


यहां से शुरू हुई परंपरा
भारतीय इतिहास में इस परंपरा की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र से की थी. उन्होंने ये अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ एकजुट होने के लिए की थी. उन्हें ये बात अच्छे  से पता थी कि भारतीय आस्था के नाम पर एकजुट हो सकते हैं. इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र में गणेश महोत्सव की शुरुआत की और वहां गणेश विसर्जन भी किया जाने लगा. 


गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त (ganesh visarjan shubh muhurat)
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः काल (चर, लाभ, अमृत) - 07:39 ए एम से 12:14 पी एम तक
दोपहर (शुभ)- 01:46 पी एम से 03:18 पी एम बजे तक
शाम (शुभ, अमृत, चर)- 06:21 पी एम से 10:46 पी एम बजे तक
रात (लाभ)- 01:43 ए एम से 03:11 ए एम बजे तक (20 सितंबर)
उषाकाल मुहूर्त (शुभ) - 04:40 ए एम से 06:08 ए एम तक (20  सितंबर)



चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - 19 सितंबर, 2021 को 05:59 ए एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 सितम्बर, 2021 को 05:28 ए एम बजे 


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