Ganesh Visarjan 2024 Highlight: गणेश विसर्जन आज 17 सितंबर को, इस शुभ मुहूर्त में दें बप्पा को विदाई, जानें विधि, नियम, मंत्र
Ganesh Visarjan 2024 Highlight: गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को है. इस दिन बप्पा को विदाई दी जाएगी. जानें गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त क्या है, कैसे करें बप्पा को विदा आदि सभी महत्वपूर्ण बातें.
अगले साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 को है. इस दिन बुधवार भी होगा. ऐसे में बप्पा का आगमन बेहद शुभ दिन से होगा. अगले साल गणेश उत्सव बहुत खास होने वाला है.
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव.............
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव.........
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव...............
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव............
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव.................
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव..................
गणेश विसर्जन के समय कलश पर रखें नारियल को फोड़कर सभी लोगों में प्रसाद के रुप में बांट देना चाहिए.
गणेश विसर्जन के दौरान थोड़ी सी दूर्वा बचा लें और इसे धन स्थान या तिजोरी में रख दें.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीवेद व्यास जी ने गणेश चतुर्थी से अगले 10 दिन तक गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी और गणेश जी ने लिखी थी. 10 दिन के बाद गणेश जी का तापमान बढ़ गया था, जिस वजह से निकट के सरोवर में जाकर उन्हें ठंडे पानी से स्नान कराया था. इसीलिए स्थापना के बाद उन्हें अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित किया जाता है.
गणेश विसर्जन का आज आखिरी मुहूर्त दोपहर 03.19 - शाम 04.51 तक रहेगा, इस दौरान आप घर पर या बाहर जाकर विसर्जन कर सकते हैं.
गणपति विसर्जन का पहला मुहूर्त यानि प्रात मुहूर्त: (चर, लाभ, अमृत)- दोपहर 01:47 तक समाप्त हो जाएगा. अगर आप इस समय तक विसर्जन नहीं कर पाएं तो दोपहर 03:19 - शाम 04:51 तक विसर्जन कर सकते हैं.
गणेश विसर्जन के दिन बप्पा को विदाई देते समय ''ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥'' मंत्र का जाप करें.
'ॐ मोदाय नम:' इन दो मंत्रों के जाप से बप्पा का आशीर्वाद पूरे साल आप पर बना रहता है.
मान्यता है कि जल में गणेश जी की मूर्ति विसर्जित करने के बाद वे शीतल हो जाते हैं और पुन: कैलाश पहुंच जाते हैं.
गणपति बप्पा की मूर्ति जल में विसर्जित करने बाद घर आकर सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन लें. जिस स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की थी, उस जगह की साफ-सफाई करें. पूजा घर में घी का दीप जलाएं.
- ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥ - ॐ गण गणपतये नमः”
- ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
- गणपति की मूर्ति जल में विसर्जित करने से पहले बप्पा की आरती जरूर करें.
- मूर्ति विसर्जन से बप्पा के हाथ जोड़कर भूल-चूक और गलतियों के लिए माफी मांगें.
- विसर्जन में जाते समय काले रंग के कपड़े न पहनें और चमड़े की बेल्ट या पर्स पास में न रखें.
- जूते-चप्पल पहनकर गणेशजी की मूर्ति विसर्जित न करें.
गणेश विसर्जन से पहले बप्पा की विधिवत पूजा कर उन्हें सिंदूर, अक्षत लगाएं. फिर इलायची, फूल, सुपारी, दूर्वा, पान के पत्ते, नारियल, शहद, गुलाल, जनेऊ, लड्डू, मोदक, केला आदि अर्पित करें. फिर धूप-दीप जलाकर आरती करें. इन नियमों को करने के बाद ही गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करें.
आज गणपति की मूर्ति विसर्जन से पहले विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें और फिर दीप जलाकर यह आरती पढ़ें-
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
कई लोग घर पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं और पर ही बाल्टी या टब में पानी भरकर मूर्ति का विसर्जन करते हैं. घर पर गणपति विसर्जन करने के लिए सबसे पहले स्नानादि कर निवृत्त हो जाएं. फिर विधि-विधान से बप्पा का पूजन करें और उन्हें भोग लगाएं. घी का दीप जलाकर श्रीगणेश की आरती करें. अब सुख-समृद्धि और अगले साल जल्दी आने की कामना करते हुए बप्पा की मूर्ति को जल में डाल दें. जब मूर्ति पूरी तरह से जल में विसर्जित हो जाए तो इस जल का छिड़काव पूरे घर पर करें.
ऊं यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
ऊं मोदाय नम:
गणपति की मूर्ति को जल में विसर्जित करने से पहले बप्पा की विधिवत पूजा करनी चाहिए. एक लकड़ी के पटरे पर गुलाबी वस्त्र बिछाकर सम्मान पूर्वक मूर्ति को रखना चाहिए. इसके बाद मूर्ति के पास अक्षत, गेहूं, पंचमेवा, सिक्के की एक पोटली रखें. फिर गणेश जी के विदा लेने की प्रार्थना करते हुए गणपति का विसर्जन करना चाहिए.
पौराणिक कथा के अनुसार, बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन इसलिए किया जाता है, क्योंकि गणपति बप्पा जल तत्व के अधिपति हैं. एक बार वेद व्यास जी ने 10 दिनों तक गणपति को महाभारत की कथा सुनाई. 10 दिन बाद जब वेदव्यास जी ने आंखे खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है. गणेश जी के शरीर का तापमान ठंडा करने के लिए उन्होंने एक सरोवर में गणेश जी को डुबा दिया. इसके बाद गणपति का शरीर शीतल हो गया.
अनंत चतुर्दशी पर आज गणेश विसर्जन के 4 शुभ मुहूर्त
• प्रात मुहूर्त: (चर, लाभ, अमृत)- सुबह 09:11 - दोपहर 01:47 तक
• अपराह्न मुहूर्त: (शुभ) दोपहर 03:19 - शाम 04:51 तक
• संध्या मुहूर्त: (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19 तक
• रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 – 18 सितंबर सुबह 03:12 तक
गणेश विसर्जन के बाद बप्पा पर चढ़ाई सामग्री को इधर-उधर न फेंके, इससे 10 दिन की पूजा व्यर्थ चली जाती है. पूजन का फल प्राप्त नहीं होता क्योंकि इन पर पैर लग सकते हैं इससे दोष लगता है. इस सामग्री को गणेश जी की मूर्ति के साथ ही विसर्जित कर दें.
गणपति विसर्जन घर में ही करना उत्तम माना जाता है. छोटी मूर्ति है तो घर में टब या बाल्टी के अंदर इतना जल भरें कि प्रतिमा अच्छी तरह उसमें डूब जाए. बप्पा पर चढ़ाई सामग्री भी जल में ही डालें. विसर्जन के अगले दिन घुली हुई मिट्टी को गमले में डालकर उसमें दूर्वा लगा लें. मान्यता है इससे गणपति का घर ही वास होता है.
गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय सबसे अच्छा रहता है. अगर दिनभर में किसी कारण प्रतिमा विसर्जन ना कर पाएं तो सूर्यास्त के बाद ना करें.
भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति देवता हैं, इसलिए उनकी प्रतिमा का विसर्जन जल में किया जाता है. जल पंच तत्वों में से एक है इसमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठित गणेश मूर्ति पंच तत्वों में सामहित होकर अपने साकार रूप से निराकार हो जाती है.
संतान प्राप्ति की इच्छा है या फिर वैवाहिक जीवन में खुशहाली नहीं मिल रही तो गणेश विसर्जन के समय बप्पा को भोग में लड्डू अर्पित करें और कच्चे सूत में सात गांठ लगाएं, उसपर हल्दी लगाकर घर के मंदिर में रख दें. मान्यता है इससे मनोकामना पूरी होती है.
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर!
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च।।
- प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 09:11 - दोपहर 01:47
- अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03:19 - शाम 04:51
- सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - रात 07:51 - रात 09:19
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10:47 - सुबह 03:12, सितम्बर 18
बैकग्राउंड
Ganesh Visarjan 2024 Highlight: गणपति बप्पा की विदाई 17 सितंबर 2024 को अनंत चतुर्दशी पर होगी. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (गणेश चतुर्थी) (Ganesh chaturthi) से भादों शुक्ल की चतुर्दशी तिथि तक गणेश उत्सव चलता है. 10 दिवसीय गणेश उत्सव (Ganesh utsav) के पहले दिन बप्पा की स्थापना कर दस दिन तक पूजा, सेवा, आरती भोग लगाया जाता है.
मान्यता है कि गणपति जी अपने संग खुशियां लेकर आते हैं और भक्तों के सार संकट दूर कर उन्हें खुशहाली प्रदान करते हैं. अब अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाएगा. गणेश विसर्जन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी यहां जानें.
अनंत चतुर्दशी 2024 तिथि (Anant Chaturdashi 2024 Muhurat)
पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर 2024 को दोपहर 05 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर 2024 सुबह 11.44 पर समाप्त होगी.
गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है
गणेश विसर्जन के दौरान गणपति बप्पा को जल में विसर्जित करके उनको खुशी और उल्लास से फिर से अगले साल आने के लिए विदा किया जाता है. जाते-जाते गणेश भगवान अपने भक्तों की सारी मुरादें भी पूरी कर जाते हैं. मान्यता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान फिर कैलाश पर्वत पर जाते हैं. विधिवत बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाए तो कभी न खत्म होने वाला अनंत सुख मिलता है.
गणेश विसर्जन कैसे करें
अनंत चतुर्दशी पर बप्पा को उनकी प्रिय वस्तु दूर्वा, मोदक, हल्दी आदि अर्पित करें. इसके बाद झूमते-नाचते गाते खुशी खुशी गणपति जी को विदाई के लिए नदी, तालाब पर विसर्जन के लिए ले जाएं. गौरी पुत्र से क्षमा याचना करें और अगले साल आने की कामना करें. अब धीरे-धीरे मूर्ति को जल में प्रवाहित करें.
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