Sankashti Chaturthi : गणपति के मूषकों ने रोक दी थी विष्णुजी की बारात
संकष्टि चतुर्थी पर गणपति गणेश की पूजा होती है. माना जाता है कि गणेशजी की पूजा से सारे विध्न मिट जाते हैं, आइए जानते हैं किसी भी पूजा में गजानन के प्रथम पूजन की कहानी.
Sankashti Chaturthi : पौराणिक कथा के मुताबिक मान्यता है कि श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की शादी के समय सभी देवी देवताओं को विवाह निमंत्रण भेजा गया. यह निमंत्रण विष्णुजी की ओर से दिया गया था. शादी के दिन जब बारात की तैयारी हो रही थी तो सबने देखा कि गणेशजी इस अवसर पर नहीं हैं. देवताओं ने विष्णुजी से कारण पूछा तो भगवान ने कहा कि हमने पिता भोलेनाथ को न्योता भेजा है. गणेशजी पिता के साथ आना चाहते तो आ जाएं. अलग से न्योता देने की जरूरत भी नहीं थीं. दूसरी बात यह है कि उन्हें दिन भर में सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन चाहिए. अगर गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं. दूसरे के घर जाकर इतना खाना-पीना भी ठीक नहीं.
तभी एक व्यक्ति ने सुझाव दिया कि गणेशजी अगर आ जाते हैं तो उन्हें घर की देखभाल के लिए द्वारपाल बनाकर बिठा दिया जाएगा, क्योंकि आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे और बारात से बहुत पीछे रह जाओगे. सुझाव पसंद आया तो विष्णुने भी हामी भर दी.
इस बीच गणेशजी वहां पहुंचे तो घर की रखवाली करने को कह दिया गया. बारात चल दी तो नारदजी ने देखा कि गणेशजी दरवाजे पर ही बैठे हैं. उन्होंने कारण पूछा तो गणेशजी ने कहा विष्णु भगवान ने मुझे द्वारपाल बनाकर अपमान किया है. यह सुनकर नारदजी ने सलाह दी कि आप अपनी मूषक सेना आगे भेज दें, वह वहां रास्ता खोद देगी, जिससे उनके रथ धरती में धंस जाएगा, तब आपकी सम्मानपूर्वक वापसी होगी. गणपति ने मूषक सेना आगे भेज दी, जिसने बारात की रथों के पहिए धंस गए. सभी के प्रयासों के बावजूद पहिए नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए. तब तो नारदजी ने कहा, कि आपने गणेशजी का अपमान कर अच्छा नहीं किया. उन्हें मनाकर लाया जाए तो कार्य सिद्ध हो सकता है, इस पर शंकरजी ने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए और खूब आदर-सम्मान संग पूजन किया गया, तब जाकर बारात की रथों के पहिए निकले.
किसान ने दी देवताओं को सीख
रथ के पहिए निकलने के बाद टूट चुके थे, ऐेसे में पास खेत में किसान काम कर रहा था, उसे बुलाया गया तो काम शुरू करने से पहले श्री गणेशाय नम: कहकर गणेश वंदना करने लगा. देखते ही देखते उसने सभी पहिए ठीक कर दिए. तब किसान ने कहा कि हे देवताओं! आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और न पूजा की होगी, इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है. तब से हर शुभ कार्यक्रम में विघ्न हटाने के लिए पहले गणपति पूजन होता है.
संकष्टि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं. आज श्रावण माह की तृतीया तिथि है. जो कि सुबह 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की और चन्द्र देव की उपासना करने का विधान है. जो कोई भी इस दिन श्री गणपति की उपासना करता है उसके जीवन के संकट टल जाते हैं. साथ ही इस दिन पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान सम्बन्धी समस्याएं भी दूर होती हैं.
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