Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर मां गंगा को प्रसन्न करने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ
Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा 16 जून 2024 को है. इस दिन गंगा जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा, स्नान के लिए विशेष स्तुति का पाठ जरुर करें, इससे मोक्ष प्राप्ति का रास्ता आसान हो जाता है.
![Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर मां गंगा को प्रसन्न करने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ Ganga Dussehra 2024 Ganga stotram path vidhi benefit Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर मां गंगा को प्रसन्न करने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/31/97f1ec10f673f0531d8ded0c4091b3ba1717156684903499_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Ganga Dussehra 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि गंगा दशहरा 16 जून 2024 को मनाया जाएगा. गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान, 10 तरह की चीजों का दान और पितरों का तर्पण करने वालों को अनेक लाभ मिलते हैं.
व्यक्ति के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन अगर आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर में गंगाजल को पानी में डालकर स्नान करें और गंगा जी की स्तुति का पाठ करें. इससे गंगा स्नान के समान पुण्य मिलता है.
श्री गंगा जी की स्तुति
गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम् ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् ॥
मां गंगा स्तोत्रम्॥
देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे
त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले
मम मतिरास्तां तव पदकमले
भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव
जलमहिमा निगमे ख्यातः ।
नाहं जाने तव महिमानं
पाहि कृपामयि मामज्ञानम्
हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे
हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे ।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं
कुरु कृपया भवसागरपारम्
तव जलममलं येन निपीतं,
परमपदं खलु तेन गृहीतम् ।
मातर्गङ्गे त्वयि यो भक्तः
किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः
पतितोद्धारिणि जाह्नवि गङ्गे
खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे ।
भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये,
पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये
कल्पलतामिव फलदां लोके,
प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।
पारावारविहारिणि गङ्गे
विमुखयुवतिकृततरलापाङ्गे
तव चेन्मातः स्रोतःस्नातः
पुनरपि जठरे सोऽपि न जातः ।
नरकनिवारिणि जाह्नवि गङ्गे
कलुषविनाशिनि महिमोत्तुङ्गे
पुनरसदङ्गे पुण्यतरङ्गे
जय जय जाह्नवि करुणापाङ्गे ।
इन्द्रमुकुटमणिराजितचरणे
सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये
रोगं शोकं तापं पापं
हर मे भगवति कुमतिकलापम्।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे
त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे
अलकानन्दे परमानन्दे
कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।
तव तटनिकटे यस्य निवासः
खलु वैकुण्ठे तस्य निवासः
वरमिह नीरे कमठो मीनः
किं वा तीरे शरटः क्षीणः ।
अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव
न हि दूरे नृपतिकुलीनः
भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये
देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।
गङ्गास्तवमिमममलं नित्यं
पठति नरो यः स जयति सत्यम्
येषां हृदये गङ्गाभक्तिस्तेषां
भवति सदा सुखमुक्तिः ।
मधुराकान्तापज्झटिकाभिः
परमानन्दकलितललिताभिः
गङ्गास्तोत्रमिदं भवसारं
वाञ्छितफलदं विमलं सारम् ।
शङ्करसेवकशङ्कररचितं पठति
सुखी स्तव इति च समाप्तः
देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे
त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले
मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥
Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर करें तुलसी से जुड़े 3 उपाय, घर में नहीं होगी धन की कमी
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)