Ganga Dussehra 2024: शिव के योगदान और भगीरथ की तपस्या से पृथ्वी पर आई मां गंगे, गंगा दशहरा पर जानिए ये कथा
Ganga Dussehra 2024: पहले मां गंगा स्वर्ग में रहती थीं. लेकिन इसके बाद गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ. मां गंगा को धरती पर लाने में भागीरथ (Bhagirathi) की तपस्या और भगवान शिव (Shiv ji) का अहम योगदान है.
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Ganga Dussehra 2024: भारत को नदियों की भूमि कहा जाता है. यहां छोटी-बड़ी लगभग 200 नदियां हैं, जिसमें गंगा नदी सबसे प्रमुख है. वहीं हिंदू धार्मिक मान्यतनुसार यह सबसे पवित्र नदी भी है. इसे देवी गंगा या मां गंगा के रूप में भी पूजा जाता है. हिमालय से निकलकर गंगा 12 धाराओं में विभक्त होती है. गंगा की प्रधान शाखा भागीरथी (Bhagirathi) है. यहां गंगाजी को समर्पित एक मंदिर भी है.
ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि मां गंगा को समर्पित है. इस तिथि को गंगा दशमी (Ganga Dashmi) या गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. पहले मां गंगा स्वर्ग में रहती थीं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर पहली बार मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं. इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जोकि इस वर्ष 16 जून 2024 को पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान और पूजन करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
धरती पर कैसे अवतरित हुईं मां गंगा
मां गंगा को धरती पर लाने का प्रयास भगीरथ ने किया था. भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा को धरती पर लाने का प्रयास किया. भगीरथ ब्रह्मा से लगभग 23वीं पीढ़ी के बाद और श्रीराम (Shri Ram) से लगभग 14वीं पीढ़ी पूर्व हुए. इससे पहले उनके पूर्वज सगर ने कई नदियों और जलराशियों का निर्माण किया, जिसे भगीरथ ने आगे बढ़ाया. श्रीराम के पूर्वज इक्ष्वाकु (Ikshvaku) वंश के राजा भगीरथ के अथक प्रयास और तपस्या के बाद गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई.
भगीरथ की तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. तब भगीरथ ने अपनी इच्छा बताई. ब्रह्मा जी बोले, राजन! तुम गंगा का अवतरण पृथ्वी पर चाहते हो, लेकिन क्या पृथ्वी गंगा के भार और वेग को सहन कर पाएगी? गंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शिव में है. इसलिए तुम्हे भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका अनुग्रह प्राप्त करना चाहिए.
शिव का योगदान न होता तो आज धरती पर न होती मां गंगा
ब्रह्मा जी की आज्ञानुसार भगीरथ ने भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की. शिवजी भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुए. ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा और शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटा बांध ली. इसके बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटा से पृथ्वी पर उतारा. क्योंकि गंगा का वेग इतना अधिक था कि ब्रह्मा के कमंडल से सीधे धरती पर उतारना संभव नहीं था.
गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के बाद भगीरथ ने रसातल में जाकर अपने पितरों का उद्धार किया और इसके बाद राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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