Ganga Saptami 2024: गंगा दशहरा के दिन धरती पर उतरी गंगा, लेकिन शिव की जटाओं में कब पहुंची जानें?
Ganga Saptami 2024: 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी. इस दिन गंगा स्नान करने से अनेक फल मिलते हैं. जानें गंगा सप्तमी क्यों मनाई जाती है, इस दिन गंगा नदी का पुनर्जन्म कैसे हुआ ?
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Ganga Saptami 2024: गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना गया है. गंगा स्नान से जन्मों जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष पाता है. हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल गंगा सप्तमी 14 मई 2024 रविवार को है.
गंगा सप्तमी का दिन देवी गंगा को समर्पित है. इस दिन को गंगा पूजन तथा गंगा जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है. वैसे तो गंगा स्नान सदा ही पुण्य फल देता है लेकिन साल में दो बार गंगा दशहरा और गंगा सप्तमी पर गंगा में स्नान (Ganga snan) करने से अमोघ फल मिलता है. जानें गंगा सप्तमी की कथा, इस दिन क्या हुआ था.
गंगा सप्तमी की कथा (Ganga Saptami Katha)
गंगा सप्तमी पर देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था. गंगा सप्तमी पर्व के लिए कथा है कि महर्षि जह्नु तपस्या कर रहे थे. तब गंगा नदी के पानी की आवाज से उनका ध्यान भटक रहा था. इसलिए उन्होंने क्रोध में अपने तपोबल से गंगा को पी लिया लेकिन बाद में बाद में देवताओं के कहने पर उन्होंने अपने दाएं कान से गंगा को बाहर निकाला था. इसलिए यह गंगा प्राकट्य का दिन भी माना जाता है.
शिव की जटाओं में कब पहुंची गंगा ?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी गंगा का प्रवाह इतना तीव्र और शक्तिशाली था कि उसके कारण समूची पृथ्वी का संतुलन बिगड़ सकता था. यही वजह है कि देवी गंगा के वेग को नियन्त्रित करने के लिए शिव (Shiv ji) ने उन्हें अपनी जटाओं में स्थान दिया. गंगा सप्तमी के दिन ही देवी गंगा भोलेनाथ की जटा में समा गईं थीं. गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2024) पर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं.
श्रीमद्भागवत में गंगा
श्रीमद्भागवत महापुराण मे गंगा की महिमा बताते हुए शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था तो गंगाजल के कुछ बूंद पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती.
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