Gangaur Vrat 2025: हिंदू धर्म में अखंड सुहाग की प्राप्ति के लिए कई व्रत किए जाते हैं उन्हीं में से एक है गणगौर व्रत. गणगौर पूजा के समय स्त्रियां गौरा माता और शंकर जी की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना करती है.
गणगौर व्रत वैसे तो एक दिन का होता है लेकिन राजस्थान के कई इलाकों में यह त्यौहार 16 दिन से 18 दिन तक मनाया जाता है. इसमें नव विवाहित और अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं. गणगौर पूजा क्या है, मार्च में ये व्रत कब रखा जाएगा, इसके नियम, तारीख सब जान लें.
गणगौर व्रत क्या है ?
गणगौर शब्द गण और गौर दो शब्दों से मिलकर बना है. जहां ‘गण’ का अर्थ शिव और ‘गौर’ का अर्थ माता पार्वती से है दरअसल, गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है इसलिए इस दिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है। इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है.
गणगौर व्रत 2025 कब ?
गणगौर व्रत 31 मार्च 2025 को किया जाएगा. चैत्र माह शुक पक्ष तृतीया को गणगौर के रूप में मनाया जाता है. यह त्यौहार मुख्यतः हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है.
गणगौर पूजा का महत्व
धर्मग्रन्थों के अनुसार पूर्ण श्रद्धाभाव से इस व्रत का पालन करने से अविवाहित कन्याओं को इच्छित वर की प्राप्ति होती है साथ ही विवाहित स्त्रियों के पति दीर्घायु आरोग्यवान होते हैं, ऐसी मान्यता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती भगवान शिव के साथ सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए भ्रमण करती हैं.
गणगौर पूजा की विधि
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन महिलायें सोलह श्रृंगार करके व्रत एवं पूजा करती हैं. शाम में गणगौर की व्रत कथा को सुनती हैं. इस दिन को बड़ी गणगौर के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन नदी या सरोवर के समीप माता गौरा की मूर्ति बालू से बनाई जाती है और उन्हें जल पिलाया जाता है. इस दौरान महिलाएं गोर गोर गोमती" नामक पारम्परिक गीत का गायन करती हैं. इस पूजन के अगले दिन देवी का विसर्जन किया जाता है, जिस स्थान पर गणगौर पूजा की जाती है उस स्थान को गणगौर का पीहर या मायका और जिस स्थान पर विसर्जन होता है उसे ससुराल माना जाता है.
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