Garuda Purana Daan Importance: हिंदू धर्म में दान-दक्षिणा करना महत्वपूर्ण माना गया है. दान दक्षिणा करने का पुण्य न सिर्फ व्यक्ति को इस जन्म में प्राप्त होता है बल्कि मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैष्णव संप्रदाय के महापुराण गरुड़ पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जीवनकाल में कुछ विशेष चीजों का दान करने से मरणोपरांत स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं और ऐसे लोगों को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है.


गरुड़ पुराण ऐसा ग्रंथ है जिसमें जीवन और मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों के बारे में बताया गया है. इसमें मोक्ष प्राप्ति के मार्ग के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार मरने के बाद किसी व्यक्ति को नरक या स्वर्ग की प्राप्ति होगी, यह काफी हदतक व्यक्ति द्वारा जीवनकाल में किए कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है.


गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि ऐसे व्यक्ति जिन्हें मृत्यु पश्चात मोक्ष नहीं मिलता है, उन्हें नरक में स्थान प्राप्त होता है या उनकी आत्माएं भटकती रहती है.


मान्यता है कि गरुड़ पुराण में बताए गए नियमों का पालन करने से आत्मा को सदग्ति की प्राप्ति होती है. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और गरुड़ के बीच हुई बातचीत में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में  तिल, नमक समेत इन 10 चीजों का दान करता है उसे मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है.


जीवन काल में जरूर करें इन 10 चीजों का दान
गरुण पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका सब कुछ धरती पर धरा का धरा रह जाता है. केवल उसके कर्म ही उसके साथ जाते हैं. इसलिए जीवन में पुण्य कर्म और दान करते रहें. गरुड़ पुराण में व्यक्ति को अपने जीवन काल में मृत्यु से पहले तिल, स्वर्ण (सोना), नमक, जलपात्र, लोहा, रुई, भूमि, पादुका और 7 तरह के अनाजों का दान करने की बात कही गई है. मान्यता है कि इन वस्तुओं के दान का पुण्य व्यक्ति को यम मार्ग में मरने के बाद प्राप्त होती है और उसकी आत्मा को किसी प्रकार का कष्ट नहीं मिलता है.


ये भी पढ़ें: Garuda Purana: मृत्यु के बाद क्यों शव को नहीं छोड़ा जाता अकेला, गरुड़ पुराण में बताए गए हैं ये 3 कारण




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.