Garuda Purana: पक्षीराज गरुड़ कैसे बने भगवान विष्णु के वाहन, जानें क्या कहते हैं धर्मग्रंथ
Garuda Purana: भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुड़ हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं गरुड़ कैसे बने भगवान विष्णु के वाहन और भगवान विष्णु ने क्यों अपने वाहन के रूप में गरुड़ को ही चुना.
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Garuda Purana,Lord Vishnu Niti: हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं के वाहन होते हैं. जैसे मां शेरावाली का वाहन सिंह है, गणेश जी का मूषक, देवी सरस्वती का हंस, कार्तिकेय का मोर और भगवान शिव का नंदी , ठीक उसी तरह भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ हैं.
हिंदू धर्म में गरुड़ को सभी पक्षियों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. गरुड़ पुराण ग्रंथ के बारे में तो आप जरूर जानते होंगे. इसे 18 महापुराणों में एक माना जाता है. जिसमें पाप-पुण्य के कर्मों के साथ ही मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बतलाया गया है. गरुड़ पुराण ग्रंथ में उन्हीं बातों का उल्लेख मिलता है जो भगवान विष्णु अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ से करते हैं. जानते हैं आखिर पक्षीराज गरुड़ कैसे बनें भगवान विष्णु वाहन.
कौन हैं गरुड़
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गरुड़ की मां का नाम विनिता था जोकि प्रजापति कश्यप की पत्नी थीं. गरुड़ एक विशाल, अतिबलिष्ठ और अपने संकल्प को पूरा करने वाला पक्षी था, जिसे भगवान विष्णु से अमृत्व मिला था. बताया जाता है कि, स्वर्ग में देवताओं ने युद्ध करने के बाद जिस अमृत कलश को असुरों से प्राप्त किया था, गरुड़ ने उसे देवताओं से छीन लिया था. क्योंकि इससे वह अपनी मां को सांपों की कद्रू की दासना से मुक्ति दिलाना चाहते थे.
कद्रू ने यह प्रस्ताव रखा कि, यदि तुम मेरे पुत्रों के लिए अमृत ला दोगे तो तुम्हारी मां दासत्व से मुक्त हो जाएगी. इसके लिए गरुड़ स्वर्ग पहुंचे और देवताओं की सुरक्षा व्यवस्था को भंग करके अमृत लेकर उड़ गए. सभी देवताओं ने अमृत कलश को बचाने का खूब प्रयास किया, लेकिन गरुड़ अपने मुख से अमृत लेकर उड़ गए. तभी रास्ते में भगवान विष्णु ने गरुड़ को मुंह से अमृत कलश को ले जाते हुए देखा. भगवान विष्णु ने देखा कि अमृत कलश पास होते हुए भी गरुड़ में उसे पीने का लालच नहीं है. वह खुद अमृत न पीकर उसे लेकर कहीं जा रहा है.
इसलिए भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ को बनाया वाहन
भगवान विष्णु यह देखकर काफी खुश हुए. उन्होंने गरुड़ को रोका और इसके बारे में पूछा. गरुड़ ने सारी बातें बताई. भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर गरुड़ को वरदान दिया. इसके बाद गरुड़ ने भी भगवान विष्णु को कुछ मांगने को कहा, तब भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपना वाहन बनने को कहा. इसके बाद से ही भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ हैं.
फिर सभी देवताओं ने अमृत वापस पाने की योजना बनाई. उन्होंने गरुड़ से कहा कि, अब नाग आपको और आपकी मां को कष्ट नहीं पहुंचा सकते हैं और आप उन्हें खास सकेंगे. इसके बाद गरुड़ ने देवताओं को वापस अमृत कलश लौटा दिया.
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