Gauda Purana Niti Granth Importance: ‘गरुड़ पुराण’ का नाम सुनते ही लोग इसे केवल मृत्यु की घटनाओं से जुड़े ग्रंथ के तौर पर देखते हैं, जिसका पाठ केवल घर पर किसी परिजन की मृत्यु पश्चात पूरे 13 दिनों तक कराया जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले गरुड़ पुराण में वर्णित बातों के प्रति अपना विश्वास प्रकट करते हैं, जिसमें मृतक की मृत्यु से लेकर मोक्ष प्राप्ति तक के सफर को बड़े ही विस्तारपूर्वक तरीके से बताया गया है.
सनातन धर्म में कुल 18 पुराण और उप पुराण हैं. सभी पुराणों को महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखा गया है. गरुड़ पुराण भी इन्हीं में एक है. इसमें कुल 19 हजार श्लोक हैं,जिसमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों को बताया गया है. इसमें सूर्य, चंद्र और अन्य ग्रहों सहित अलौकिक संसार की 9 शक्तियों का भी वर्णन किया गया है.
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं
हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण हैं. जिनके नाम हैं – ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण. इसमें ब्रह्म पुराण को सबसे पुराना और स्कंद पुराण को सबसे बड़ा पुराण माना गया है.
अन्य 17 पुराणों में कैसे अलग है गरुड़ पुराण
हिंदू धर्म में कुल 18 पुराणों के बारे में बताया गया है, जिसमें गरुड़ पुराण भी एक है. गरुड़ पुराण 18 पुराणों में 17 वां पुराण है. लेकिन इसे अन्य 17 पुराणों से अलग माना गया है. इसका कारण यह कि इस ग्रंथ की रचना अग्निपुराण के बाद हुई है और इसमें अन्य पुराणों से अलग बातें बताई गई हैं. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और गरुड़राज (गरुड़ पक्षी) के बीच जीवन-मरण को लेकर होने वाली वार्तालाप को बताया गया है. गरुड़राज ने भगवान विष्णु से जीवन-मरण से संबंधित ज्ञान को अर्जित कर ऋषि कश्यप को सुनाया.
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