Garuda Purana Path, niti Grantha: गरुण पुराण का पाठ आमतौर पर घर पर किसी परिजन की मृत्यु पश्चात पूरे 13 दिनों तक सुनने का विधान है. मान्यता है कि इस दौरान गरुण पुराण का पाठ मृतक भी सुनते हैं, क्योंकि उनकी आत्मा 13 दिनों तक घर पर ही रहती है. ऐसे में उनकी आत्मा को सांसारिक मोह का त्याग कर मोक्ष प्राप्त करने में आसानी होती है.


गरुड़ पुराण में जन्म, मृत्यु और मृत्यु के पश्चात की घटनाओं का वर्णन किया गया है. इसलिए लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या गरुण पुराण केवल किसी की मृत्यु के बाद और सूतक वाले घरों में ही सुने जाते हैं या फिर गरुण पुराण को सामान्य दिनों में भी पढ़ा जा सकता है. जानते हैं गरुण पुराण का पाठ कब और किसे करना चाहिए और इसके क्या लाभ हैं.


क्या है गरुड़ पुराण


गरुण पुराण में कर्मों के अनुसार मृत्यु पश्चात की स्थितियों का वर्णन किया गया है. इसके अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु हैं. गरुण पुराण में भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ से बात करते हैं. कहा जाता है कि एक बार जब गरुण ने प्राणियों की मृत्यु, यमलोक, स्वर्ग, नकर, सद्गति आदि से जुड़े रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे, तब भगवान विष्णु ने इन सभी सवालों का विस्तारपूर्वक जवाब दिया. इन्हीं प्रश्नों के उत्तर के आधार पर गरुड़ पुराण तैयार हुआ है.


गरुड़ पुराण का महत्व


गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ है. यह 18 महापुराणों में एक है. गरुड़ पुराण में 19 हजार श्लोक हैं, जिसके सात हजार श्लोक में जीवन से जुड़ी गूढ़ बातों को बताया गया है. इसमें ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, आत्मा, स्वर्ग और नरक का वर्णन मिलता है. गरुड पुराण का पाठ पढ़ने या सुनने से व्यक्ति को आत्मज्ञान सदाचार, भक्ति, ज्ञान, यज्ञ, तप और तीर्थ आदि के महत्व के बारे में पता चलता है. इसलिए हर व्यक्ति को इसके बारे में जरूर जानना चाहिए।


किसे और कब पढ़ना चाहिए गरुड़ पुराण


हिंदू धर्म में घर पर किसी परिजन की मृत्यु के पश्चात गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है. मान्यता है कि घर पर 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ कराने से मृतक की आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है. लेकिन गरुड़ पुराण पाठ किसी परिजन की मृत्यु के पहले या कभी भी पढ़ा जा सकता है. जो व्यक्ति इसे पढ़ने की इच्छा रखता है वह इसे पढ़ सकता है. पवित्रता और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ किया जा सकता है. इसका पाठ करने से सामान्य मनुष्य को यह पता चलता है कि कौन सा रास्ता धर्म और कौन अधर्म का है.


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