Garuda Purana Policies of Daan: गरुड़ पुराण में जीवन-मृत्यु और स्वर्ग-नरक से जुड़े गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया गया है. हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में एक गरुड़ पुराण के आचारकांड मे नीतिसार का अध्याय है. इसमें कई नियम और नीतियों के बारे में बताया गया है, जिसका अनुसरण करने पर व्यक्ति कई परेशानियों से मुक्त रहता है. इससे जीवन सफल और सरल बनता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति को जीवन में हमेशा पुण्य कर्म करने चाहिए. क्योंकि मनुष्य द्वारा किए कर्मों के आधार पर ही मरणोपरांत स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है.
व्यक्ति के कई पुण्य कर्मों में एक है ‘दान’. गरीब और जरूरतमंदों को दान करना और इनके प्रति दया भाव रखना चाहिए. लेकिन गरुड़ पुराण में दान-दक्षिणा से जुड़े नियम और नीतियों के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार ही दान करना चाहिए, अन्यथा आप खुद कंगाल हो सकते हैं.
दान से जुड़ी गरुड़ पुराण की नीतियां
- गरुड़ पुराण के अनुसार हर व्यक्ति को समय-समय दान करना चाहिए. इससे व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और समाज में मान-सम्मान मिलता है. ऐसे लोगों पर ईश्वर की भी कृपा बनी रहती है. लेकिन दान किसी ऐसे व्यक्ति को ही करे जिसे इसकी जरूरत हो.
- गरुड़ पुराण के अनुसार धनवान लोगों को दान करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए. भगवान ने आपको इतना सक्षम बनाया है कि आप जरूरतमंदों की सहायता कर सकें, इसलिए दान करें. इससे बुरे कर्म में कमी आती है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है.
- इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपकी कमाई कम है तो बिना सोचे-समझे दान न करें. व्यक्ति को दान हमेशा अपने सामर्थ्यनुसार ही करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार अर्जित कमाई का दसवां हिस्सा ही दान करना चाहिए.
- दान करने के भी कुछ नीति-नियम होते हैं. जैसे कि कभी भी झाड़ू, बासी भोजन, खराब या इस्तेमाल किए तेल या प्लास्टिक, कांच या एल्युनिमिनियम धातु के बर्तनों का दान नहीं करना चाहिए. इससे घर की बरकत चली जाती है.
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