(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Geeta Jayanti 2022: गीता जयंती कब ? जानें डेट, पूजा विधि और इस दिन का महत्व
Geeta Jayanti 2022: सनातन धर्म में गीता जयंती का विशेष महत्व है. एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. आइए जानते हैं गीता जयंती की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
Geeta Jayanti 2022: सनातन धर्म में गीता जयंती का विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर गीता जयंती हर साल मनाई जाती है. इस दिन मोक्षदा एकादशी होती है. धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन गीता का उपदेश दिया था. कहते हैं कि जो लोग प्रतिदिन गीता का पाठ करते हैं और बताए गए उपदेशों को जीवन में अपनाते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. गीता में बताई गईं बातें व्यक्ति को मोह माया के जाल से दूर सफलता के मार्ग पर ले जाती है. आइए जानते हैं गीता जयंती की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
गीता जयंती 2022 डेट (Geeta Jayanti 2022 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है. इस बार गीता जयंती 3 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी. ये श्रीमद भगवद गीता की 5159वीं वर्षगाँठ होगी.
गीता जयंती महत्व (Geeta Jayanti Significance)
- गीता में मनुष्य के जीवन का संपूर्ण सार बताया गया है जिसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग भक्तियोग के उपदेश शामिल है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर अर्जुन को सांसारिक मोह से मुक्ति दिलाई थी और सही-गलत का अंतर बताया था.
- कहते हैं कि रणभूमि में अर्जुन ने अपने समक्ष सगे संबंधियों देखकर विचलित हो गए थे और शस्त्र उठाने से इनकार कर दिया था, तब सारथी बने हुए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के ज्ञानचक्षु खोलने के लिए गीता उपदेश दिए थे. जिसके बाद अर्जुन ने पूरी ताकत से युद्ध लड़ा और कौरवों को पराजित किया.
- गीता व्यक्ति के विचारों में शुद्धिकरण लाती है, गीता के उपदेश में इतनी शक्ति है कि इसका पालन करने वाला मनुष्य अच्छे-बुरे का फर्क समझ पाता है. गीता के श्लोक में जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाई है. इस दिन गीता पाठ करने से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है.
गीता जयंती पूजा विधि (Geeta Jayanti Puja vidhi)
गीता जयंती के दिन गीता श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए. इसके लिए पहले फूल, अक्षत से ग्रंथ की पूजा करें और फिर पाठ की शुरुआत करें. इसके बाद संभव हो तो गीता ग्रंथ को बच्चों और लोगों में दान करें. अन्न, वस्त्र, और धन का दान भी कर सकते हैं. इससे श्रीकृष्ण अति प्रसन्न होते हैं.
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