एक्सप्लोरर

Krishna and Uddhav Samvad: श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को क्यों जुआ खेलने से नहीं रोका था? क्या आप जानते हैं इसकी वजह

Krishna Uddhav Samvad: ब्रह्मावैवर्त पुराण में उद्धव का उल्लेख श्रीकृष्ण के मित्र, सारथी और परामर्शदाता के रूप में किया गया है. वहीं कुछ ग्रंथों के अनुसार, रिश्ते में उद्धव श्रीकृष्ण के भाई लगते थे.

Krishna and Uddhav Samvad: ब्रह्मावैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana) में उद्धव का उल्लेख मिलता है. कृष्ण की लीला में भी उद्धव के चरित्र का बहुत मार्मिक प्रसंग है. उद्धव ने श्रीकृष्ण से महाभारत (Mahabharat) के कई रहस्यमयी प्रश्नों के बारे में पूछा, जिसके उत्तर श्रीकृष्ण ने दिए हैं.

उद्धव के प्रश्नों और श्रीकृष्ण के उत्तर का उल्लेख उद्धव गीता (Uddhav Geeta) में मिलता है.उद्धव को भी श्रीकृष्ण से गीता का ज्ञान मिला, जो ‘उद्धव गीता’ के नाम से प्रसिद्ध है. जानते हैं उद्धव गीता में श्रीकृष्ण और उद्धव के संवाद के बारे में.

श्रीकृष्ण और उद्धव संवाद (Shri Krishna and Uddav Samvad)

उद्धव श्रीकृष्ण के साथ सारथी के रूप में बचपन से ही रहे हैं. उद्धव श्रीकृष्ण की लीलाओं और महिमाओं से भलि-भांति परिचित थे. इसके बावजूद भी उन्होंने श्रीकृष्ण से कभी कोई वरदान नहीं मांगा. लेकिन श्री कृष्ण को लेकर उद्धव के मन में कुछ शंकाएं जरूर थीं, जिसे शांत करने के लिए उन्होंने कृष्ण से कड़वे प्रश्न किए. कृष्ण ने भी उद्धव के सवालों का जवाब दिया. कृष्ण और उद्धव के इसी संवाद और प्रश्न-उत्तर को ‘उद्धव गीता’ कहा गया.

उद्धव का सवाल: हे कृष्ण! महाभारत के घटनाक्रम में कई बातों को मैं नहीं समझ पाया. क्योंकि आपके ‘उपदेश’ अलग रहे और ‘व्यक्तिगत जीवन’ कुछ अलग ही दिखता रहा. क्या आप मुझे इसका कारण बताकर मेरी जिज्ञासा को शांत करेंगे?

श्रीकृष्ण का उत्तर: उद्धव, मैंने कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन को जो कुछ भी कहा वह ‘भगवद्गीता’ थी और आज जो कुछ तुम मुझसे जानना चाहते हो और उसका मैं जो भी तुम्हें उत्तर दूंगा, वह ‘उद्धव-गीता’ के नाम में जानी जाएगी. तुम्हें जो भी पूछना है बेझिझक पूछो, मैंने तुम्हें यह अवसर दिया है.

उद्धव का सवाल: हे कृष्ण, सबसे पहले मुझे यह बताइए कि सच्चा मित्र कौन होता है?

श्रीकृष्ण का जवाब: सच्चा मित्र वही है जो जरूरत पड़ने पर मित्र की बिना मांगे सहायता करे.

उद्धव का सवाल: हे कृष्ण! आप तो पांडवों के आत्मीय प्रिय मित्र थे. आजाद बांधव के रूप में उन्होंने भी हमेशा आप पर भरोसा किया. आप महान ज्ञानी और भूत, वर्तमान व भविष्य के ज्ञाता भी हैं. लेकिन आपने सच्चे मित्र की जो परिभाषा मुझे दी है, क्या आपको नहीं लगता कि आपने उस परिभाषा के अनुसार कार्य नहीं किया?

आपने युधिष्ठिर को द्यूत (जुआ) खेलने से क्यों नहीं रोका? यदि आपने उन्हें नहीं भी रोका, लेकिन आपने भाग्य को भी धर्मराज के पक्ष में भी नहीं मोड़ा. अगर आप चाहते तो धर्मराज युधिष्ठिर जीत सकते थे. आप कम से कम उन्हें धन, राज्य और खुद को हारने के बाद तो रोक ही सकते थे. स्वयं को हारने के बाद जब उन्होंने अपने भाईयों को दांव पर लगाना शुरू किया तब तो आप सभाकक्ष में पहुंचकर उन्हें रोक सकते थे. लेकिन आपने ऐसा भी नहीं किया? उसके बाद जब दुर्योधन ने पांडवों को सदैव अच्छी किस्मत वाला बताते हुए द्रौपदी को दांव पर लगाने को प्रेरित किया और जीतने पर हारा हुआ सब कुछ वापस कर देने का लालच दिया, तब तो आपको हस्तक्षेप करना चाहिए था. आप अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा पासे धर्मराज के अनुकूल भी कर सकते थे.

लेकिन आपने तब हस्तक्षेप किया जब द्रौपदी अपना शील (चरित्र) सभाकक्ष में खो रही थी.  तब आपने द्रौपदी को वस्त्र देकर उसके चरित्र को बचाने का दावा किया. लेकिन आप यह दावा भी कैसे कर सकते हैं? जब उसे कोई घसीटा हुआ सभा में लाता है और लोगों के सामने निर्वस्त्र करने के लिए छोड़ देता है. ऐसे में एक महिला का शील क्या बचा और आपने क्या बचाया? अगर आपने संकट के समय ही अपनों की मदद नहीं की तो आपको आपाद-बांधव कैसे कहा जा सकता है? क्या यही धर्म है?

श्रीकृष्ण का जवाब: प्रिय उद्धव! यह तो सृष्टि का नियम है कि विवेकवान ही जीतता है. उस समय दुर्योधन के पास विवेक था और धर्मराज के पास नहीं. यही कारण रहा कि धर्मराज को पराजित होना पड़ा. दुर्योधन के पास जुआ खेलने के लिए धन तो बहुत था. लेकिन उसे पासों की समझ नहीं थी. इसलिए उसने अपने मामा शकुनि का द्यूतक्रीड़ा (जुआ खेलने) के लिए उपयोग किया. यही विवेक कहलाता है. दुर्योधन की तरह धर्मराज भी इस तरह से सोच सकते थे और अपने चचेरे भाई से पेशकश कर सकते थे कि उनकी तरफ से मैं खेलूंगा. जरा विचार करो कि अगर शकुनी और मैं खेलते तो कौन जीतता? तब पासे के अंक उसके अनुसार आते या मेरे अनुसार?

चलो इस बात को छोड़ों. उन्होंने मुझे खेल में शामिल तक नहीं किया. इस बात के लिए उन्हें माफ किया जा सकता है. लेकिन उन्होंने विवेक शून्यता से एक बड़ी गलती की. उन्होंने मुझसे यह प्रार्थना की कि, मैं तब तक सभाकक्ष में न आऊं, जब तक कि मुझे बुलाया न जाए. क्योंकि वे अपने दुर्भाग्य का खेल मुझसे छिपाकर खेलना चाहते थे.

वे नहीं चाहते थे, मुझे मालूम पड़े कि वे जुआ खेल रहे हैं. इस तरह से उन्होंने मुझे अपनी प्रार्थना से बांध दिया. मुझे सभाकक्ष में आने की अनुमति नहीं थी. इसके बाद भी मैं कक्ष के बाहर इंतजार कर रहा था कि, कब कोई मुझे बुलाए. लेकिन भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव सब मुझे भूल गए. वो सभी हारने पर बस अपने भाग्य और दुर्योधन को कोसते रहें. अपने भाई के आदेश पर जब जब दुस्साशन द्रौपदी को बाल पकड़कर घसीटता हुआ सभाकक्ष में लाया तो द्रौपदी अपनी सामर्थ्य के अनुसार जूझती रही.

तब भी उसने मुझे नहीं पुकारा. उसकी बुद्धि तब जागी, जब दुस्साशन ने उसे निर्वस्त्र करना प्रारंभ किया. जब द्रौपदी ने स्वयं पर निर्भरता छोड़कर ‘हरि, हरि, अभयम कृष्णा, अभयम’ की गुहार लगाई, तब मुझे उसके शील की रक्षा का अवसर मिला. जैसे ही मुझे पुकारा गया, मैं अविलंब वहां पहुंच गया. अब इस स्थिति में मेरी गलती है तुम ही बताओ?

उद्धव का सवाल: कान्हा आपका स्पष्टीकरण प्रभावशाली तो है, लेकिन मुझे यह पूर्ण संतुष्ट नहीं करता. क्या मैं एक और प्रश्न पूछ सकता हूं? कृष्ण की अनुमति से उद्धव ने पूछा: इसका अर्थ यह हुआ कि आप तभी आओगे, जब आपको पुकारा जाएगा? क्या संकट से घिरे अपने भक्त की मदद करने आप स्वतः नहीं आएंगे?

श्रीकृष्ण का जवाब: उद्धव इस सृष्टि में हर व्यक्ति का जीवन उसके स्वयं के कर्मफल के आधार पर संचालित होता है. न तो मैं इसे चलाता हूं और न ही इसमें हस्तक्षेप करता हूं. मैं केवल एक ‘साक्षी’ हूं. मैं सदैव तुम्हारे समीप रहकर जो हो रहा है उसे देखता हूं और यही ईश्वर का धर्म है.

उद्धव का सवाल: उद्धव उलहाने देते हुए कहते हैं- वाह-वाह, बहुत अच्छा कृष्ण! यानी इसका अर्थ यह हुआ कि आप हमारे नजदीक रहकर हमारे सभी दुष्कर्मों का निरीक्षण करते रहेंगे. हम पाप करते रहेंगे और आप साक्षी बनकर हमें देखते रहेंगे. आप क्या चाहते हैं कि हम भूल करते रहें, पाप की गठरी बांधते रहें और उसका फल भुगतते रहें?

श्रीकृष्ण का जवाब: उद्धव, तुम शब्दों के गहरे अर्थ को समझो. जब तुम समझकर अनुभव करोंगे कि मैं तुम्हारे नजदीक साक्षी के रूप में हर समय हूं तो क्या तुम कुछ भी गलत या बुरा करोगे? तुम निश्चित रूप से कुछ भी बुरा नहीं कर सकोगे. जब तुम भूल जाते हो और ऐसा समझने लगते हो कि मुझसे छुपकर कुछ भी कर सकते हो, तब तुम मुसीबत में फंसते हो. धर्मराज का अज्ञान भी यही था, कि उसने यह मान लिया कि वह मेरी जानकारी के बिना जुआ खेल सकता है. अगर उसने यह समझ लिया होता कि मैं प्रत्येक के साथ हर समय साक्षी रूप में उपस्थित हूं तो क्या खेल का रूप कुछ और नहीं होता?

उद्धव बोले: प्रभु कितना गहरा दर्शन है और कितना महान सत्य. प्रार्थना और उपासना से ईश्वर को अपनी मदद के लिए बुलाना महज हमारी ‘पर-भावना’ है. लेकिन जैसे ही हम यह विश्वास करना शुरू करते हैं कि ‘ईश्वर’ के बिना पत्ता भी नहीं हिलता, तब हमें साक्षी के रूप में उनकी उपस्थिति स्वत: महसूस होने लगती है. लेकिन गलती तब होती है जब हम इसे भूलकर दुनियादारी में डूब जाते हैं.

ये भी पढ़ें: Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा के चमत्कार की जानें अलौकिक कहानियां, जब बाबा के स्पर्श मात्र से जल उठी थी बत्तियां

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Dharma LIVE

ABP Shorts

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'सरकार कबूल करे जिम्मेदारी', नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोला जमात-ए-इस्लामी हिंद?
'सरकार कबूल करे जिम्मेदारी', नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोला जमात-ए-इस्लामी हिंद?
'यूट्यूबरों ने भड़काया, भोले हैं बृजवासी', NRI सोसाइटी अध्यक्ष ने प्रेमानंद महाराज से मांगी माफी
'यूट्यूबरों ने भड़काया, भोले हैं बृजवासी', NRI सोसाइटी अध्यक्ष ने प्रेमानंद महाराज से मांगी माफी
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

USA में Health Aid को लेकर क्यों हो रही है Problems? | Health LiveNew Delhi Railway Station Stampede: स्टेशन पर भगदड़ का कसूरवार कौन? कैसे मची भगदड़? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: फेल क्राउड मैनेजमेंट...प्लेटफॉर्म बदलने का अनाउंसमेंट? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: पिछले हादसों से क्यों सबक नहीं लेता रेल मंत्रालय? | Breaking | ABP NEWS

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'सरकार कबूल करे जिम्मेदारी', नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोला जमात-ए-इस्लामी हिंद?
'सरकार कबूल करे जिम्मेदारी', नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोला जमात-ए-इस्लामी हिंद?
'यूट्यूबरों ने भड़काया, भोले हैं बृजवासी', NRI सोसाइटी अध्यक्ष ने प्रेमानंद महाराज से मांगी माफी
'यूट्यूबरों ने भड़काया, भोले हैं बृजवासी', NRI सोसाइटी अध्यक्ष ने प्रेमानंद महाराज से मांगी माफी
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
बीता हफ्ता मुहब्बत वाला, इश्क के दुश्मनों वाले दिन आए रे भइया...खुद देख लें पूरी लिस्ट
बीता हफ्ता मुहब्बत वाला, इश्क के दुश्मनों वाले दिन आए रे भइया...खुद देख लें लिस्ट
IPL 2025 LSG Schedule: 24 मार्च को दिल्ली कैपिटल्स से लखनऊ सुपर जायंट्स का पहला मैच, जानें LSG का फुल शेड्यूल
24 मार्च को दिल्ली कैपिटल्स से लखनऊ सुपर जायंट्स का पहला मैच, जानें LSG का फुल शेड्यूल
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
कोई हिंदू लड़की अगर मुस्लिम से शादी कर ले तो क्या होगा, पिता की प्रॉपर्टी में मिलेगा हिस्सा?
कोई हिंदू लड़की अगर मुस्लिम से शादी कर ले तो क्या होगा, पिता की प्रॉपर्टी में मिलेगा हिस्सा?
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.