Gemology: लाइफ में ग्रहों के प्रभावों के कम करने और बचने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. रत्न शास्त्र में हर राशि के अनुसार रत्नों के बारे में बताया गया है. रत्नों में अलौकिक शक्ति का समावेश होता है. रत्न धारण करने से जीवन सुखमय होता है. आइए जानते हैं एक ऐसे उपरत्न के बारे में जिसका संबंध शनि देव से है. इस रत्न का नाम है नीली. इसे नीलिया और लीलिया के नाम से भी जाना जाता है.  


रत्न शास्त्र में शनि के दुप्रभावों से बचने के लिए नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. नीलम काफी मूल्यवान होता है इसे खरीदना और धारण करना हर किसी के बस की नहीं होता. ऐसे में जातक को नीलम रत्न की जगह लीलिया उपरत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. इसे धारण करने से नीलम जैसे शुभ फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं लीलिया को धारण करने की विधि और इसके लाभ. 


जानें लीलिया के बारे में-


नीलम का उपरत्न नीली हल्के नीले रंग का रत्न होता है. ये चमकीले रंग का होता है, जिसमें रक्तिम ललाई होती है. आमतौर पर लीलिया रत्न गंगा यमुना और अन्य नदियों के रेतीले किनारों पर मिलता है. इसे नीलम रत्न की तरह की रत्ती के अनुसार धारण किया जाता है. इसे धारण करने से तरक्की के सभी रास्ते खुल जाते हैं. साथ ही भाग्योदय होता है. 


लीलिया धारण करने के लाभ-


रत्नशास्त्र का कहना है कि अगर किसी जातक को नीली सूट करता है, तो इसका असर एकदम से दिखने लग जाता है. इतना ही नहीं, इस उपरत्न को पहनने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. साथ ही, धन लाभ होता है. नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है. 


ये लोग करें धारण-


रत्न शास्त्र के अनुसार रत्न धारण करने से पहले ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. बिना ज्योतिष की सलाह के रत्न धारण करने से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है. वृषभ राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशियों को लीलिया धारण करने की सलाह दी जाती है. अगर किसी व्यक्ति की राशि में शनि केंद्र के स्वामी हैं तो भी नीली धारण किया जा सकता है. 


शनि देव जन्मकुंडली के उच्च में स्थित हैं, तो नीली धारण किया जा सकता है. लेकिन शनिदेव से शत्रुता होने वाली राशियों को लीलिया न धारण करने की सलाह दी जाती है. जैसे मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह राशि वालों को नीली धारण करने से बचें. 


यूं करें धारण-


नीली रत्न को गंगाजल से भरे किसी पात्र में रखें और शनिवार के दिन इसे दाएं या बाएं हाथ में धारण करें. इसे मध्यमा (बीच वाली उंगली) अंगुली में पंचधातु या चांदी में धारण करने की सलाह दी जाती है. 


धारण करने के बाद इन बातों का रखें ध्यान


नीली रत्न धारण करने के बाद दान अवश्य करना चाहिए. शनिवार के दिन मदिरा पान और तामसिक भोजन न करें. विकलांगों की सहायता करें. वृद्धों का सम्मान करें. इतना ही नहीं, गलत कार्य और झूठ न बोलें. 


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