रूबी रत्न धारण करने से सूर्य देव चमका देते हैं किस्मत, लेकिन धारण करने के इन नियमों को ध्यान रखना है जरूरी
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अलग रत्न बताया गया है. किसी भी ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए कई रत्नों के बारे में बताया गया है.
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अलग रत्न बताया गया है. किसी भी ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए कई रत्नों के बारे में बताया गया है. किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य को मजबूत करने, उसके शुभ प्रभावों को बढ़ाने और अशुभ प्रभावों को करने के लिए माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है. माणिक को रूबी स्टोन के नाम से भी जानते हैं. आइए जानते हैं माणिक किस प्रकार व्यक्ति के अंदर की प्रतिभा को निखारने का काम करता है. साथ ही, जानें इसे धारण करने के नियमों के बारे में.
माणिक धारण करने के फायदे-
रत्न शास्त्र के अनुसार माणिक रत्न गहरे गुलाबी रंग का होता है.ये रत्न बहुत ऊर्जावान होता है, जो कुंडली में सूर्य को मजबूत बनाता है. इतना ही नहीं, व्यक्तित्व में भी परिवर्तन होते हैं. वहीं, इस रत्न को धराण करने से जातक की इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है. माणिक रत्न धारण करने से समाजिक प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और यश की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि इसे धारण करने से अंदर दबी हुई प्रतिभा जाग्रित होती है. इंसान भयमुक्ति होकर कार्य में अच्छा प्रदर्शन करता है. रूबी रत्न धारण करने से व्यक्ति को आंख से जुड़ी समस्याओं, हृदय रोग, हड्डियों से जुड़ी समस्या से निजान मिल जाती है.
ये लोग धारण कर सकते हैं माणिक-
रत्न शास्त्र के अनुसार लोगों में निराशा, डर, आत्मविश्वास की कमी होने पर उन्हें माणिक रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. सामान्य रूप से माणिक रत्न मेष, सिंह, धनु और वृश्चिक लग्न के जातकों के लिए शुभ माना जाता है. कर्क लग्न के लिए माणिक मध्यम परिणाम देता है. वहीं, मीन, मकर और कन्या लग्न के लिए माणिक नुकसानदेह साबित हो सकता है. ऐसे में ये लोग माणिक भूलकर भी धारण न करें.
माणिक रत्न धारण करने की विधि-
रत्न शास्त्र के अनुसार माणिक सोने या तांबे की धातु में अनामिका उंगली में रविवार के दिन धारण किया जाता है. वहीं, इसे लॉकेट के रूप में लाल धागे के साथ गले में भी धारण कर सकते हैं. माणिक रत्न को धारण करने से पहले गाय के दूध या गंगाजल से शुद्ध कर लें. इसके बाद सूर्य का मंत्र जाप करें और इसके बाद ही रत्न को धारण करें.
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