Gemology: जीवन में अगर तमाम कोशिशों के बाद भी सफलता या तरक्की नहीं मिल रही तो कुंडली में मौजूद कुछ ग्रहों की स्थिति कमजोर हो जाती है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं और रत्न शास्त्र (Ratan Shastra) में रत्नों के बारे बताया गया है. रत्न पहनने से कुंडली (Gemstoen In Kundali) का संबंधित ग्रह मजबूत स्थिति में हो जाता है और अच्छा फल देने लगता है. रत्न शास्त्र में हर ग्रह के लिए खास रत्न और उपरत्न के बारे में बताया गया है. इतना ही नहीं, रत्न पहनने के कुछ खास नियम (Gems wearingRules) भी बताए गए हैं. रत्न पहनने के नियमों के बारे में अक्सर लोगों को बहुत कम जानकारी होती है. पूरी जानकारी न होने के कारण वे गलतियां कर बैठते हैं. इतना ही नहीं, इससे उन्हें रत्नों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता.


जानें रत्‍न से जुड़ी खास बातें (Important Thing Related To Gems)


कहते हैं कि रत्न को सबसे ज्यादा लाभ तभी मिलता है जब उसे दोनों भौंहों के बीच ग्रहण किया जाए. इसलिए राजा-महाराजा मुकुट में रत्न जड़वा कर पहनते थे. हालांकि, आज के समय में इस तरह से रत्न धारण करना संभव नहीं है. वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा शरीर लगातार ऊर्जा ग्रहण करता है और उसका ह्रास भी करता है. इसके लिए ऊर्जा ग्रहण करने की सबसे प्रभावशाली जगह हमारे माथे पर दोनों भौहों के बीच की जगह होती है. जबकि पैरों के अंगूठे से सबसे ज्यादा ऊर्जा का ह्रास होता है. इसलिए रत्नों का फायदा तभी होता है जब इसे भौहों के बीच में पहना जाए. 


शरीर के इन हिस्सों में धारण कर सकते हैं रत्न (Best Body Part To Wear Gems)


रत्‍न पहनने के लिए शरीर की कई हिस्सों की बात की गई है. इसमें गर्दन, हृदय के पास का स्‍थान, कलाई और उंगलियों में रत्‍न धारण किए जा सकते हैं. रत्न शास्त्र के अनुसार हाथ की हर उंगली का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है, इसलिए आमतौर पर रत्‍न उंगलियों में पहनने की सलाह दी जाती है. 


हर रत्‍न के असर में अलग समय लगता है


रत्न धारण करने के बाद व्यक्ति एकदम से ही उसके असर के बारे में सोचने लगता है तो आपको बता दें कि हर रत्न अलग समय लेता है. रत्‍न शास्‍त्र के मुताबिक मोती 3 दिन में, माणिक्य 30 दिन, मूंगा 21 दिन, पन्ना 7 दिन, पुखराज 15 दिन, नीलम 2 दिन, हीरा 22 दिन, गोमेद 30 दिन, लहसुनिया 30 दिन में असर दिखाने लगता है. रत्न धारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि महिलाएं बाएं और पुरुष दाएं हाथ में रत्‍न धारण करें. 


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