Gemology: किसी भी ग्रह के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए रत्न शास्त्र में रत्नों के बारे में बताया गया है. राशि और ग्रह की दशा को देखते हुए ही व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. रत्न सिर्फ स्टाइल के लिए ही नहीं धारण किए जाते, बल्कि जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए भी रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. आज हम एक ऐसे प्रभावशाली रत्न के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनका सीधा संबंध शनि, राहु और केतु तीनों ग्रहों से हैं. यह रत्न है लाजवर्त. रत्न शास्त्र में इस रत्न का संबंध तीनों ग्रह से बताया गया है.
वैसे तो इन तीनों ग्रह के लिए अलग-अलग ,रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं सिर्फ लाजवर्त रत्न धारण करके भी शुभ फल की प्राप्ति की जा सकती है. आइए जानते हैं लाजवर्त रत्न को धारण करने की विधि के बारे में.
कैसा होता है लाजवर्त रत्न
रत्न शास्त्र के अनुसार लाजवर्त रत्न गहरे नीले रंग का होता है. और इसके अंदर हल्के नीले रंग की धारियां नजर आती हैं. इसका रंग मोर की गर्दन के नीले रंग जैसा होता है. ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से शनि, राहु, केतु तीनों ग्रह मजबूत होते हैं.
लाजवर्त धारण करने के लाभ
- लाजवर्त एक उपरत्न है और इसे धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है. इतना ही नहीं, मस्तिष्क शांत रहता है. इतना ही नहीं, पुरुषार्थ का विकास होता है. कहते हैं कि अध्यापन कार्य से जुडे़ व्यक्तियों के लिए यह रत्न उनकी क्षमताओं में वृद्धि करता है. वह अपने कार्य पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं.
- वहीं, लाजवर्त धारण करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है. आप चीजों को ज्यादा अच्छे से याद रख पाते हैं.
- मनोविज्ञान से संबंधित कार्यों में भी ये लाभकारी होता है. पढ़ाई में कमजोर छात्र के लिए ये रत्न लाभकारी माना जाता है. कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिए भी इसे धारण करने की सलाह दी जाती है. वहीं, मान्यता है कि इसे धारण करने से पितृ दोष शांत होता है.
ये जातक कर सकते हैं धारण-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के विराजमान हो उन जातकों को लाजवर्त धारण करने की सलाह दी जाती है. साथ ही, मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं. वहीं, अगर जन्मकुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त धारण किया जा सकता है.
धारण करने की विधि-
- लाजवर्त धारण करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसे शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी या लॉकेट में बनवाकर धारण करें. इसकी माला या ब्रेसलेट भी पहना जा सकता है.
- इस रत्न को दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें. धारण करने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रख दें.
- इसके बाद इसे नीले रंग के कपड़े पर रखें. और ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र की एक माला का जाप करें.
-धूप-दीप, नैवेद्य आदि करने के बाद इसे कपड़े से पोंछ कर शुभ समय में धारण करने से ये शुभ फल देता है.
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