Chanakya Niti: उदारता, मधुरता और साहस किसी से उधार नहीं बल्कि मां के गर्भ से ही मिलते हैं
चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य अपने गुणों को सिर्फ संवार सकता है, उन्हें नए सिरे से हासिल नहीं कर सकता. खासतौर पर स्वभाव में मधुरता, साहस और उदारता. यह सिर्फ व्यक्ति को मां के गर्भ से ही मिलते हैं.
![Chanakya Niti: उदारता, मधुरता और साहस किसी से उधार नहीं बल्कि मां के गर्भ से ही मिलते हैं Generosity, sweetness and courage are not borrowed, they come from the mother's womb Chanakya Niti: उदारता, मधुरता और साहस किसी से उधार नहीं बल्कि मां के गर्भ से ही मिलते हैं](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/06/23/99a57f2fe21186c3f1de4f25e2663399_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chanakya Niti in Hindi : आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन संघर्ष में आपकी कामयाबी उन तत्वों पर निर्भर करती है, जो आपको जन्मजात से मिलते हैं. ज्ञान-अनुभव के आधार पर भले ही जीवन की हर परिस्थिति का सामना किया जा सके, लेकिन सुख दुख में अविचलित, साहस, मधुरता और उदारता आपकी अपनी ही होती है. इनके अमल से व्यक्ति जीवन में सफलता की हर ऊंचाई को छू सकता है. आचार्य चाणक्य यह भी कहते हैं कि छल से बड़ा पाप कोई नहीं, यह व्यक्ति का नाश कराने में सक्षम है. जो व्यक्ति अपना समाज छोड़कर दूसरे से जा मिलता है, उसका नाश ठीक उसी राजा की तरह होग, जो अधर्म चलते हुए अपनी ही प्रजा का काल बन जाता है.
चाणक्य नीति कहती है कि एक दीया अन्धकार से काफी छोटा होने के बावजूद उसे पूरी तरह खत्म कर सकने में सक्षम है. इसी तरह एक सदगुण आपके दुर्गुणों की कतार को खत्म कर सकता है. इस तरह वास्तव में वही बड़ा है, जिसकी शक्ति छा जाए, क्योंकि आकार कोई मायने नहीं रखता है.
आवश्यकता से अधिक जो भी है उसे दान देना ही उत्तम
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक गुणवान व्यक्ति को वह सब कुछ दान कर देना चाहिए, जो उसके पास जरूरत से अधिक है. इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि सिर्फ दान से ही कर्ण, बाली और राजा विक्रमादित्य आज तक याद किए जाते हैं. नीति शास्त्र के अनुसार आज दुनिया में वे ही सुखी हैं. जो संबंधियों के प्रति उदार हैं. अनजाने लोगों के प्रति सह्रदय हैं. अच्छे लोगों के प्रति प्रेम रखते हैं. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते हैं और खुद से बड़ों के प्रति पूरी तरह विनम्र हैं.
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