Gita Jayanti 2021: गीता जयंती पर शुरू करें इन 5 श्लोकों का अनुसरण, जीवन में मिलेगी अपार सफलता
Gita Jayanti 2021: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.
Gita Jayanti 2021: संनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Margashirsh Ekadashi 2021) को गीता जयंती (Gita Jayanti 2021) मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. और इसी के माध्यम से उन्होंने लोगों को जीवन का सार समझाने की कोशिश की थी. इस बार गीता जयंती 14 दिसंबर मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2021) के दिन ही पड़ रही है. मान्यता है कि गीता के कुछ श्लोकों का अगर अनुसरण किया जाए, तो जीवन में अपार सफलता प्राप्त की जा सकती है. आइए जानते हैं गीता में दिए गए सफलता के मंत्रों के बारे में.
गीता में सफलता के मंत्र
1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
इस श्लोक में बिना फल की इच्छा के ही कर्म की प्रधानता पर बल दिया गया है. अगर आप किसी काम में सफलता चाहते हैं तो कर्म पर ध्यान दें. तभी बिना भटकाव के कर्म को पूरा कर पाएंगे. गीता में बताया गया है कि जब फल की इच्छा से कर्म करेंगे, तो कर्म पर ध्यान कम और फल पर ज्यादा रहेगा. इस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म व्यक्ति के अधिकार में है, फल की चिंता न करें. बस, कर्म करें.
2. क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
वहीं, गीता का ये श्लोक बताता है कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए मन का शांत होना भी आवश्यक है. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि क्रोध बुद्धि का नाश करता है. बुद्धिहीन व्यक्ति खुद का ही सर्वनाश कर लेता है. ऐसे में किसी भी कार्य की सफलता के लिए क्रोध का त्याग जरूरी है.
3. अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।
इस श्लोक के माध्यम से संशय को गलत बताया गया है. गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति संदेह या संशय करता है, उसे कभी भी सुख और शांति नहीं मिलती. ऐसे में वह खुद का ही विनाश करता है. न इस लोक में सुख मिलता है और न परलोक में. इसलिए किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए संदेहरहित कार्य करें.
4. ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
विषयों और वस्तुओं के प्रति लगाव भी असफलता का कारण बनता है. अगर आप लगाव को खुद से दूर नहीं करेंगे, तो वस्तुओं के लगाव से एक इच्छा जन्म ले लेगी, उसकी पूर्ति न होने पर क्रोध होगा. ये बातें सफलता के मार्ग में बाधा बनती हैं. ऐसे में किसी भी विषय या वस्तुओं से लगाव न रखें.
5. हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
सफलता पाने के लिए डर को खत्म करना जरूरी है. गीता के इस श्लोक में बताया गया है कि जब अर्जुन कौरवों के विरुद्ध युद्ध नहीं करना चाहते थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कहा था कि तुम निडर होकर युद्ध करो. अगर मारे गए तो स्वर्ग मिलेगा और जीतने पर धरती पर राज करोगे. तो अगर आप किसी भी कार्य में सफलता पाना चाहते हैं तो डर को मन से निकालना होगा.
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