Devi Saraswati: हिंदू धर्म में देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत, साहित्य और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है. विशेषकर माघ शुक्ल पक्ष की पचंमी तिथि को बसंत पचंमी के दिन मां सरस्वती की विशेष-पूजा अर्चना की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि पर मां सरस्वती अपने हाथों में वीणा लेकर प्रकट हुई थीं. मान्यता है कि संसार में जितने भी स्वर हैं सभी देवी सरस्वती ने भरे हैं. देवी सरस्वती के वीणा से निकले मधुर संगीत से ही सृष्टि के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी मिली.
देवी सरस्वती को लेकर एक बात यह भी कही जाती है कि, पूरे दिन में एक बार देवी सरस्वती जुबान पर विराजती हैं. यदि ऐसे समय में जो भी बात कही जाए या जो मुराद मांगी जाए वह पूरी हो जाती है. इसलिए व्यक्ति को कभी भी अपशब्द या कटु वचन नहीं बोलने चाहिए. हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा शुभ-शुभ बोलने की बात कहते थे, क्योंकि गलत वचन स्वयं और दूसरों का नुकसान करा सकते हैं. इसका यही कारण है कि देवी सरस्वती हर व्यक्ति की जुबान पर जरूर विराजित होती हैं.
जुबान पर कब विराजती हैं देवी सरस्वती? (When does Goddess Saraswati appear on the tongue)
कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त के समय देवी सरस्वती जुबान पर विराजित होती हैं. हिंदू धर्म में इस मुहूर्त को बहुत शुभ माना गया है. सुबह 3 बजे से लेकर सूर्योदय तक के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं. वहीं सुबह 03:20 से 03:40 मिनट का समय सबसे शुभ माना जाता है. क्योंकि यही वो समय है जब देवी सरस्वती जुबान पर रहती हैं. इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस 20 मिनट में कही गई हर बात सच हो सकती है और इस समय मांगी गई हर मुराद भी पूरी होती है.
क्या मुराद मांगनी चाहिए?
देवी सरस्वती के जिह्वा पर विराजित होने के समय आपको अपनी कामना मांगने से पहले ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए. इसके बाद आप जिन परेशानियों से जूझ रहे हों, उसी का समाधना मांगे. यदि आप सच्ची श्रद्धा से प्रार्थना करेंगे तो आपकी समस्या जरूर दूर होगी और मनोकामना की भी पूर्ति होगी.
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