Goddess Temple: सनातन धर्म में देवी मां को शक्तिस्वरुपा कहा जाता है. पूरे भारत में देवी मां के कुल 51 शक्तिपीठ हैं. यहीं यह भी बता दें कि माता सती के अंग जहां-जहां भी गिरे थे उन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ कहा गया. ऐसा माना जाता है कि इन शक्तिपीठों में देवी मां भगवान शिव के साथ हमेशा निवास करती हैं.


हिमाचल प्रदेश का ज्वालादेवी मंदिर: भारत के कुल 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश का ज्वालादेवी मंदिर है. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर देवी सती की जीभ गिरी थी. इस मंदिर में सदियों से 9 ज्वालाएं आज भी जल रही हैं. इन 9 ज्वालाओं में जो ज्वाला चांदी के दिए के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं. बाकी अन्य 8 ज्वालाओं के रूप में मां अन्नपूर्णा, चंडी देवी, हिंगलाज, मां विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, मां सरस्वती, अम्बिका एवं अंजी देवी इस ज्वाला मंदिर में निवास करती हैं.




इसी मंदिर में मां कर रही हैं अपने भक्त गोरखनाथ का इंतज़ार: इस ज्वाला मंदिर में माता की ज्वाला के अलावा जो दूसरा चमत्कार देखने को मिलता है वह है मंदिर में ही स्थित एक कुंड जिसका नाम है ‘गोरख डिब्बी.’ इस कुंड को देखने पर ऐसा लगता है कि इसमें पानी खौल रहा है लेकिन इस कुंड के पानी को छूने पर पानी ठंडा लगता है. इस कुंड के बारे में एक प्राचीन कथा यह है कि देवी मां के एक अनन्य भक्त गोरखनाथ थे.


गोरखनाथ इसी स्थान पर देवी मां की सेवा करते थे. एक बार की बात है गोरखनाथ को भूख लगी तब उन्होंने देवी मां से कहा कि हे माता आप आग जलाकर पानी गर्म कीजिए, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं. लेकिन गोरखनाथ भिक्षा लेकर अभी तक नहीं लौटे हैं. देवी मां आज भी पानी गर्म करके अपने पुत्र का इन्तजार कर रही हैं. ऐसा माना जाता है कि कलयुग की समाप्ति होने पर जब पुनः सतयुग आएगा तब गोरखनाथ लौट कर मां के पास आएंगे.