Gopashtami 2021: कब है गोपाष्टमी पर्व, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में
Gopashtami 2021: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है. इस दिन गायों की पूजा और प्रार्थना की जाती है.
Gopashtami 2021: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है. इस दिन गायों की पूजा और प्रार्थना की जाती है. इस साल यह पर्व 12 नवंबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था और आंठवे दिन इंद्र देव अपना क्रोध त्याग कर श्री कृष्ण के पास क्षमा मांगने आए थे. तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रदेशवासियों को गोपाष्टमी की शुभकामनाएं दी हैं.
श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तो उसमें कामधेनु गाय निकली थी. जिसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया था, क्योंकि वे पवित्र थी. मान्यता है कि उसके बाद से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई. इतना ही नहीं, महाभारत में बताया गया है कि गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का निवास होता है. इसलिए ही दोनों ही चीजों का उपयोग शुभ काम में किया जाता है.
गोपाष्टमी 2021: तिथि और शुभ मुहूर्त (Gopashtami Shubh Muhurat 2021)
दिनांक: 12 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 06:49 सुबह 12 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि समाप्त – 05:51 सुबह 13 नवंबर, 2021
गोपाष्टमी का महत्व Gopashtami Importance
हिंदू धर्म में गाय को पवित्र स्थान प्राप्त है. कहते हैं गाय में कई देवी-देवताओं का वास होता है और इसलिए गाय को पूजनीय स्थान प्राप्त है. गोपाष्टमी का ये पर्व गौधन से जुड़ा है. पौराणिक ग्रंथों में कामधेनु का जिक्र भी मिलता है. जिनकी उत्पत्ति देवता और असुरों द्वारा सुमद्र मंथन के दौरान हुई थी. ऐसा माना जाता है कि गोपाष्टमी के दिन पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले लोगों को सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
गोपाष्टमी की पूजा विधि Gopashtami Pujan Vidhi
गोपाष्टमी के दिन सुबह उठने के बाद गायों को स्नान कराएं. गंध-पुष्प आदि से गायों की पूजा करने के बाद ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका सम्मान करना चाहिए. इस दिन गायों को सजाया जाता है. साथ ही, भोजन कराएं और उनकी परिक्रमा करें. कहते हैं इस दिन थोड़ी दूर तक गायों के साथ चलना चाहिए. शाम के समय गायों के वापस आने पर उनका पंचोपचार पूजन करके उन्हें कुछ खाने को दें. आखिर में गौमाता के चरणों की मिट्टी को माथे पर लगाएं और उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करें. मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है.
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