Govardhan pooja: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार धरती पर अपनी पूजा बंद कराए जाने से नाराज होकर देवराज इंद्र ने धरती पर इतनी भयंकर बारिश कराई, जिससे गोकुल में बाढ़ आ गई. ऐसे में श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया, जिसके तले आकर सभी गोकुल वासियों की जान बच गई, तब से ही गोवर्धन पूजा होती आ रही है.


पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व रखने वाले गोवर्धन पर्वत की पूजा से आदिकाल से ही बेहद फलदायी रही है. मान्यता है कि इस दिन पर्वत की पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा सदैव रहती है. गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है. आइए जानते हैं पूजा विधि.


पंचांग के अनुसार 05 नवंबर 2021, शुक्रवार को प्रतिपदा तिथि को प्रात: 02 बजकर 44 मिनट शुरू होगी और रात्रि में 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. गोवर्धन की पूजा 5 नवंबर, को ही मनाया जाएगा. गोवर्धन पर्वत पर अन्न, खील, लावा, मिष्ठान आदि का भोग लगाना चाहिए. 


पूजा मूहूर्त
गोवर्धन या अन्नकूट पूजा प्राय: सुबह होती है. इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का बनाया जाता है. इस पर अन्न, खील, लावा, चीनी की मिठाई आदि चढ़ाई जाती है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 16 मिनट से 5 बजकर 43 मिनट तक होगा.


पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से भगवान गोवर्धन का चित्र बनाएं. इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर भगवान की पूजा करें. कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है. इस दिन बच्चों को भगवान गोवर्धन की कथा जरूर सुनाएं.


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