Govardhan Pooja: मान्यता है कि गोवर्धन पूजा से दुखों का नाश होता है और दुश्मन अपने छल कपट में कामयाब नहीं हो पाते हैं. यह गोवर्धन पर्वत आज भी मथुरा के वृंदावन इलाके में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार पुलस्त्य ऋषि मथुरा में श्रीकृष्ण लीला से पहले ही गोवर्धन पर्वत को लाए थे. हिंदू मान्यता अनुसार पुलस्त्य ऋषि तीर्थ यात्रा करते हुए गोवर्धन पर्वत के पास पहुंचे तो सुंदरता और वैभव देखकर गदगद हो गए और उसे साथ ले जाने के लिए गोवर्धन के पिता द्रोणांचल पर्वत से निवेदन किया कि मैं काशी में रहता हूं, गोवर्धन को ले जाकर वहां पूजा करूंगा.
पुलस्त्य ऋषि के निवेदन पर द्रोणांचल बेटे के लिए दुखी हुए लेकिन गोवर्धन के मान जाने पर अनुमति दे दी. काशी जाने से पहले गोवर्धन ने पुलस्त्य से आग्रह किया कि वह बहुत विशाल और भारी है, ऐसे में वह उसे काशी कैसे ले जाएंगे तो पुलस्त्य ऋषि ने तेज-बल के जरिए हथेली पर रखकर ले जाने की बात कही. गोवर्धन ने कहा कि वह एक बार हथेली में आने के बाद जहां भी रखा जाएगा, वहीं स्थापित हो जाएगा. आग्रह मानकर पुलस्त्य ऋषि गोवर्धन को हथेली पर रखकर काशी चल पड़े. पुलस्त्य ऋषि मथुरा पहुंचे तो गोवर्धन ने सोचा कि श्रीकृष्ण इसी धरती पर जन्म लेने वाले हैं और गाय चराने वाले हैं. ऐसे में वह उनके पास रहकर मोक्ष पा लेगा. यह सोचकर गोवर्धन ने अपना वजन बढ़ा लिया, जिसे उठाने में पुलस्त्य ऋषि को आराम की जरूरत पड़ गई. उन्होंने गोवर्धन पर्वत वहीं जमीन पर दिया और सो गए.
पुलस्त्य ऋषि ने गोवर्धन को दिया श्राप
पुलस्त्य ऋषि जब जगे तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत को चलने को कहा, मगर जब गोवर्धन ने अपनी शर्त याद दिलाई तो पुलत्स्य ऋषि नाराज हो गए और उन्होंने गोवर्धन पर छल का आरोप लगाया. गुस्से में पुलस्त्य ने गोवर्धन पर्वत को हर दिन मुट्ठी भर घटने का श्राप दे डाला. पुलस्त्य ने कहा कि तुम्हारी ऊंचाई घटते घटते कलयुग में तुम पूरे के पूरे पृथ्वी में समा जाओगे. कहा जाता है कि पुलत्स्य ऋषि के श्राप के चलते गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई 30 हजार मीटर थी जो करीब 30 मीटर बची है
छह घंटे में होती है परिक्रमा
गोवर्धन पर्वत करीब 10 किमी तक फैला है. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा 21 किमी है. इसे पूरा करने में 5-6 घंटे लगता है. ये पर्वत यूपी और राजस्थान में विभाजित है. हजारों श्रद्धालु गिरिराज की परिक्रमा करने आते हैं.
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के लिए पहले आंगन में गोबर से भगवान गोवर्धन चित्र बनाएं. रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर भगवान की पूजा करें.
1. गोवर्धन पूजा के दिन पूजा करने वाले को सुबह-सुबह तेल मलकर नहाना चाहिए.
2. घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर से गोवर्धन चित्र बनाएं. गोबर गोवर्धन भी बनाएं.
3. उसके बीच भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें. फिर श्रीकृष्ण-गोवर्धन की पूजा करें.
4. पूजा की समाप्ति पर पकवान और पंचामृत से भोग लगाएं.
5. फिर गोवर्धन पूजा की कथा सुनें और आखिर में प्रसाद बांटे.
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