चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. इस दिन चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा पर्व भी मनाया जाता है. देशभर के कई हिस्सों जैसे कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा को पच्चड़ी, उगादी और संवत्सर पड़वों के नाम से भी जाना जाता है. इस बार गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा के शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में. 


गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त 2022


तिथि- 2 अप्रैल 2022, शनिवार


प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल, शुक्रवार सुबह 11:53 मिनट से शुरू


प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल, शनिवार को रात 11:58 मिनट तक.


गुड़ी पड़वा पर रहा है दुर्लभ संयोग


चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गुड़ी पड़वा पर्व मनाया जाता है. इस दिन ये खास संयोग बन रहा है. इस दिन इंद्र योग, अमृत सिद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. गुड़ी पड़वा पर इंद्र योग सुबह 08:31 मिनट तक है. फिर इसके बाद अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग 1 अप्रैल से सुबह 10:40 मिनट से 02 अप्रैल को सुबह 06:10 मिनट तक है.


गुड़ी पड़वा का महत्व


देशभर के कई हिस्सों में गुड़ी पड़वा पर्व का विशेष महत्व है. इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था. मान्यता है कि इस दिन घर के बाहर आम के पत्तों की तोरण लगाना शुभ होता है. साथ ही इस दिन घर की छत पर ध्वज भी लगाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा और भगवान राम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. 


स्वास्थ्य के लिहाज से भी गुड़ी पड़वा का दिन विशेष महत्व रखता है. इस दिन खास पकवान बनाए जाते हैं. पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन खाली पेट पूरन पोली का सेवन करने से चर्म रोग की समस्या भी दूर जाती है. वास्तु के अनुसार भी गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व बताया गया है. इसमें नीम की पत्तियां और मिश्री का इस्तेमाल किया जाता है. नीम का अर्थ जीवन की कड़वी घटनाएं और मिश्री का अर्थ है जीवन की वास्तविक घटनाओं को दर्शाता है. 


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