Gudi Padwa 2025: घर पर गुड़ी बनाने की संपूर्ण जानकारी, जानिए महत्व तिथि, इतिहास और पूजा विधि
Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा 2025 हिंदू नववर्ष का पर्व, 30 मार्च को मनाया जाएगा. यह सृष्टि रचना, रामराज्य स्थापना व शिवाजी महाराज की विजय से जुड़ा है. इस दिन गुड़ी स्थापना और विशेष पूजा की जाती है.

Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष की शुरुआत का पर्व है,जिसे महाराष्ट्र और गोवा में विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इसे विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत माना जाता है.
गुड़ी पड़वा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा 2025 में 30 मार्च,रविवार को मनाया जाएगा.
शुभ मुहूर्त:
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 29मार्च2025, शाम 04:27 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 30 मार्च 2025, दोपहर 12:49 बजे
गुड़ी पड़वा का महत्व और इतिहास
गुड़ी पड़वा को कई धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ा जाता है:
- सृष्टि की रचना: मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है.
- रामराज्य की शुरुआत: इसी दिन भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों के वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने के बाद रामराज्य की स्थापना की थी.
- शिवाजी महाराज की विजय: मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी दिन अपने विजय पताका को फहराया था, जिसे 'गुड़ी' के रूप में देखा जाता है.
- खेतों में नई फसल: इस समय नई फसल कटकर घर आती है, इसलिए इसे कृषि उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.
गुड़ी पड़वा पर की जाने वाली परंपराएं
- घरों में रंगोली बनाई जाती हैं , आम और नीम के पत्तों से सजाया जाता है.
- प्रातःकाल स्नान कर नए वस्त्र धारण किए जाते हैं.
- घर के आंगन या छत पर गुड़ी (ध्वज) स्थापित किया जाता है.
- विशेष पूजा कर भगवान ब्रह्मा,विष्णु और शिव की आराधना की जाती है.
- नीम के पत्तों, गुड़ और इमली का मिश्रण प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
- परिवार और मित्रों के साथ विशेष पकवान बनाए और बांटे जाते हैं.
घर पर गुड़ी बनाने के लिए आवश्यक वस्तुएं और चरण-दर-चरण विधि
आवश्यक सामग्री:
बांस की लंबी लकड़ी – गुड़ी को ऊंचाई पर लगाने के लिए
पीला/लाल/केसरिया रंग का रेशमी कपड़ा – इसे विजय पताका के रूप में बांधा जाता है
नीम और आम के पत्ते – शुभता का प्रतीक
गुड़,नारियल और फूलों की माला – पूजा में प्रयोग करने के लिए
पीतल/चांदी का कलश – गुड़ी के शीर्ष पर रखने के लिए
चावल और हल्दी – पूजा के लिए
रंगोली के रंग – घर के मुख्य द्वार पर सजावट के लिए
गुड़ी बनाने और लगाने की विधि:
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. बांस की लकड़ी को अच्छे से साफ करें और उसके ऊपरी भाग पर पीला/लाल/केसरिया रेशमी कपड़ा बांधें. कपड़े के ऊपर आम और नीम के पत्तों की माला सजाएं. गुड़ी के शीर्ष पर उल्टा पीतल या चांदी का कलश रखें. इसे घर के आंगन या छत पर ऊंचाई पर स्थापित करें, ताकि यह दूर से भी दिखाई दे. गुड़ी की पूजा करें और भगवान को प्रसाद अर्पित करें. पूजा के बाद परिवार के सदस्यों को गुड़, नीम और इमली का मिश्रण प्रसाद के रूप में दें.
गुड़ी पड़वा के विशेष पकवान
पूरी और श्रीखंड – महाराष्ट्र में विशेष रूप से बनाए जाने वाला मीठा व्यंजन.
पुरण पोली – गुड़ और चने की दाल से भरकर बनाई जाने वाली रोटी.
कढ़ी और भात – पारंपरिक व्यंजन.
कोकोनट लड्डू और बासुंदी – इस शुभ दिन पर बनाए जाने वाले लोकप्रिय मीठे पकवान.
गुड़ी पड़वा का आधुनिक परिप्रेक्ष्य
आज के समय में यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन गया है. इस दिन लोग नए संकल्प लेते हैं, अपने कार्यों की नई शुरुआत करते हैं और परिवार के साथ मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं.गुड़ी पड़वा न केवल नया साल मनाने का अवसर है बल्कि यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ा हुआ पर्व है. यह दिन हमें नई ऊर्जा, सकारात्मकता और समृद्धि का संदेश देता है. अगर आप भी अपने घर में गुड़ी पड़वा मना रहे हैं, तो पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करें और इस पर्व का भरपूर आनंद लें.
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