25 मार्च का दिन बहुत ही विशेष है. इस दिन जहां पूरे देश में चैत्र नवरात्रि शुरु हो रहे हैं वहीं इस दिन गुड़ी पड़वा और चेटीचंड का भी पर्व श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा और चेटीचंड के बारे में-


गुड़ी पड़वा


इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है. चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है. पड़वा का अर्थ होता है पर्व और गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका. मान्यता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी. इसी दिन से हिंदू धर्म के अनुसार नए साल यानि नया संवत्सर भी आरंभ होता है. इसे 'नवसंवत्सर' भी कहा जाता है.


नवसंवत्सर से जुड़ी मान्यता


माना जाता है कि चैत्र के माह में पेड-पौधे फलते-फूलते हैं. शुक्ल प्रतिपदा को चंद्रमा की कला का पहला दिन होता है. चंद्रमा और सूर्य ही ऐसे दो ग्रह हैं जिन्हें हम देख सकते हैं. इन दोनों ही ग्रहों के देवता की उपाधि दी गई है. इसीलिए चंद्रमा को चंद्र देव भी कहते हैं. चंद्रमा का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव है. वनस्पति से भी चंद्रमा का गहरा नाता है. चंद्रदेव को औषधियों और वनस्पतियों का राजा भी कहा गया है. इनसभी कारणों से ही शुक्ल प्रतिपदा से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है.


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पौराणिक कथा


इस दिन को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली का वधकर उसके अत्याचारों से बाली की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी. बाली के कुशासन से मुक्ति मिलने के बाद वहां की प्रजा ने घरों में ध्वज यानि विजय पताका फहरा कर खुशियां मनाईं थीं. महाराष्ट्र में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में घर के आंगन में गुड़ी फहाराने की परंपरा है. इस पर्व को गुड़ी पड़वा के रूप में मानते हैं.


गुड़ी पड़वा को बनाए जाने वाले व्यंजन


गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में कुछ विशेष व्यंजन परोसने और खाने की परंपरा है. इस दिन महाराष्ट्र में पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है. इस व्यंजन को बनाने में गुड़, नीम का फूल, इमली और कच्चा आम मिलाया जाता है. इस व्यंजन का अपना एक दर्शन भी है कहते हैं कि गुड़ जीवन में मिठास के लिए, नीम के फूल जीवन से कड़वाहट को समाप्त करने के लिए, इमली और कच्चा आम जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का प्रतीक है. अन्य प्रदेशों में भी इस पर्व को मानने की अलग अगल परंपराएं हैं.


चेटीचंड


चेटीचंड दो शब्दों से मिलाकर बना है. जिसमें चेटी का अर्थ चैत्र और चंड का अर्थ होता है चंद्रमा. चैत्र माह में जब पहली बार चंद्र दर्शन होता है तो  सिंधी समुदाय चेटीचंड का त्योहार मनाता है.


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