Guru Nanak Jayanti 2021: कब है गुरु पर्व, जानिए इस त्योहार के बारे में सबकुछ
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार है. हिंदू धर्म में दीपावली की तरह ही सिख धर्म में गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व, प्रकाश पर्व, गुरु पूरब भी कहा जाता है.
Guru Nanak Jayanti 2021: सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार है. हिंदू धर्म में दीपावली की तरह ही सिख धर्म में गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व, प्रकाश पर्व, गुरु पूरब भी कहा जाता है. इस दिन सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. प्रकाश पर्व (prakash parav) हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. इस दिन सिख समुदाय के लिए लोग सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं, गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं, वाहे गुरू का जाप करते हैं और भजन कीर्तन करते हैं. गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर चारों ओर दीप जला कर रोशनी की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु नानक ने समाज में बढ़ रही कुरीतियों और बुराइयों को दूर करने का काम किया था. साथ लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का काम कर उन्हें इन बुराइयों और कुरीतियों को त्याग करके नई राह दिखाई थी. इसके लिए नानक देव जी ने दूर-दूर तक यात्राएं की और पारिवारिक सुख का त्याग कर दिया.
कब है गुरु पर्व
कहते हैं दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस बार गुरु पर्व 19 नवंबर, 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा. देशभर में ये पर्व काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. कई महीनों पहले से ही सिख समाज जुलूस और प्रभात फेरी की तैयारियों में जुट जाते हैं. गुरु पर्व (guru parav) के दिन सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसमें गुरु नानक देव जी की भजन, शबद आदि किए जाते हैं. ढोल-मंजीरों के साथ इस प्रभात फेरी की शुरुआत होती है. यही नहीं, कई जगह जुलूस का आयोजन भी किया जाता है. बड़े पैमाने पर सिख समाज की तरफ से लंगर का आयोजन भी होता है. गुरुद्वारों में शबद-कीर्जन और वाक होते हैं. समाज के लोग अपनी श्रद्धा अनुसार गुरुद्वारों में सेवा करते हैं.
माता-पिता थे इस बात से चिंतित
कुछ विद्वानों का मानना है कि गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था, वहीं उनकी प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा है. बताया जाता है कि नानक देव जी काफी शांत प्रवृति के व्यक्ति थे. हमेशा आंखें बंद करके ध्यान में लगे रहते थे. नानक देव जी के प्रखर बुद्धि के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगे थे. हमेशा चिंतन और ध्यान में लगा देख घर में माता-पिता को चिंता सताने लगी थी. इस कारण उन्हें गुरुकुल में भेज दिया गया, लेकिन वहां भी वे ज्यादा समय नहीं रहे. गुरु नानक के प्रश्नों का उत्तर अध्यापक के पास भी न था. और उनके प्रश्नों से तंग आकर अध्यापक उन्हें वापस घर छोड़ गए और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भगवान ने उन्हें पहले से ही ज्ञान देकर धरती पर भेजा है. 16 साल की आयु में ही उनका विवाह करवा दिया गया. लेकिन पारिवारिक सुख में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी. अथवा सब कुछ छोड़-छाड़ कर यात्रा पर निकल गए.