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Guru Purnima 2024: गुरू पूर्णिमा कितना विशेष? जोधपुर के ज्योतिषाचार्य ने बता दी ये बड़ी बातें
Guru Purnima 2024: गुरू पूर्णिमा का पर्व गुरू के प्रति आभार प्रकट करने के लिए किया मनाया जाता है बल्कि इसके कई लाभ भी हैं. जो मनुष्य इस दिन गुरू की पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
Guru Purnima 2024: इंसान से लेकर देवताओं तक ने गुरू से ज्ञान प्राप्त किया है. इसीलिए गुरू का स्थान भगवान से भी ऊपर माना गया है. श्रीराम (Lord Ram) ने ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया, श्रीकृष्ण के गुरू सांदीपनि थे. कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने देवताओं में से एक हनुमानजी (Hanuman Ji) ने सूर्यदेव (Surya) को अपना गुरू बनाया था.
कामना और कामनापूर्ति, इच्छा और इच्छा पूर्ति, समस्या और सामाधान, परस्पर इनका अन्योनाश्रित संबंध है. यहीं गुरू की आवष्यकता रहती है. गुरू उन्नत्ति का मार्ग प्रषस्त करता है और षिष्य उसका अनुकरण करता है. गुरू करे वह करना आवष्यक नहीं पर गुरू जो कहें वह करना आवष्यक है.
गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima 2024) के दिन गुरू की पूजा न सिर्फ गुरू के प्रति आभार प्रकट करने के लिए किया जाता है बल्कि इसके कई लाभ भी हैं. जो मनुष्य आषाढ़ पूर्णिमा (Ashadha Purnima 2024) यानी गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima 2024) के दिन गुरू की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं उन्हें गुरू ग्रह का शुभ फल मिलता है.
जिनकी कुंडली (Kundli) में गुरू ग्रह (Jupiter) की स्थिति अनुकूल नहीं रहती है उन्हें भी गुरू पूजा से फायदा होता है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था.
वेद व्यास जी (Ved Vyas) ने वेदों का संपादन किया, महाभारत (Mahabharat), श्रीमद् भागवद् गीता (Geeta), 18 पुराणों (Puran) की रचना की थी. वेद व्यास की जयंती पर ही गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima) मनाई जाती है.
इस साल आषाढ़ माह (Ashadh Month) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि (Purnima) 20 जुलाई 2024 को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 21 जुलाई, 2024 रविवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी.
उदयातिथि के अनुसार गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima 2024) का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा. गुरू पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग, विष्कंभ योग महासंयोग बन रहा है. इस योग में आप जो भी शुभ कार्य करते हैं, वह सफल सिद्ध होता है
वैसे तो हर रोज गुरू की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गुरू के बिना हमारे जीवन में प्रकाश नहीं आता है, लेकिन गुरू पूर्णिमा पर गुरू पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन अपने गुरू को नए कपड़े, कोई उपहार, शॉल-श्रीफल या कोई अन्य भेंट दें. गुरू को तिलक लगाएं.
पुष्पों की माला पहनाएं. गुरू के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें. उनके उपदेशों सुनें और उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प लें.
जिन लोगों का कोई गुरू नहीं है, उनकी पूजा भगवान स्वीकार नहीं करते हैं. गुरूहीन व्यक्ति द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि पितर देवता स्वीकार नहीं करते हैं.
इसलिए किसी योग्य व्यक्ति को गुरू बनाकर उनसे गुरू दीक्षा लें. गुरू द्वारा दिए गए मंत्र का जप करें. जिस तरह से मंत्री का पाप राजा को और स्त्री का पाप पति को लगता है, उसी प्रकार शिष्य का पाप गुरू को ही लगता है. ऐसा कोई काम न करें, जिसकी वजह से गुरू को अपमानित होना पड़ सकता है.
- भाग्योदय के लिए गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन घर में अभिमंत्रित गुरू यंत्र की स्थापना कराएं और प्रतिदिन इसकी पूजा करें.
- यदि किसी छात्र का मन पढ़ाई को लेकर किसी तरह का तनाव है या असफल होने का भय है तो गुरू पूर्णिमा के दिन पीले हकीक की माला से ‘ऊँ हृं हृं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें.
- कुंडली (Kundli) में गुरू (Guru) के कमजोर होने पर संतान सुख और संतान से सुख में दिक्कतें आती हैं, गुरू ग्रह को मजबूत करने के लिए इस दिन विष्णु जी (Lord Vishnu) को केसर, पीला चंदन, अर्पित कर जरुरतमंदों को गुड़ का दान करें. इससे जल्द घर में किलकारियां गूंजेगी और संतान से सुख भी मिलने लगेगा.
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