Guru Purnima 2024 Highlight: आज 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम सब यहां जानें
Guru Purnima 2024 Highlight:: गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरुओं को वेदव्यास जी का अंश मानकर, उनकी पूजा करनी चाहिए. आज 21 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. यहां जानें महत्वपूर्ण जानकारी.
पीपल को धनदाता वृक्ष माना गया है. गुरु पूर्णिमा तिथि की शाम को पीपल के पेड़ की पूजा करने से देवता और पितर दोनों आपसे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.आज शाम को पीपल के पेड़ पर दीपक जलाएं और साथ ही सफेद मिठाई से भोग भी लगाएं. मान्यता है इससे धन लक्ष्मी प्राप्त होती है.
गुरु पूर्णिमा को कई जगह भैरव पूनम के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भैरव की प्रसन्नता के लिए उन्हें पानी वाला नारियल तथा इमरती का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है इससे करियर, विवाह और तरक्की में आ रही बाधाएं खत्म होती है.
मेष - अन्न के साथ मूंगा दान करें
वृषभ - चांदी का दान करें
मिथुन - शॉल का दान करें
कर्क - चावल दान करें
सिंह - पंच धातु से बनी सामग्री दान दें
कन्या - मिट्टी से भरा घड़ा दान दें
तुला - कंबल का दान करें
वृश्चिक - माणिक का दान करें
धनु - स्वर्ण का दान करें
मकर - पीला वस्त्र उपहार में दें
कुंभ - सफेद मोती दान दें
मीन - हल्दी के साथ चने की दाल का दान करें
गुरु-शिष्य परंपरा में विश्वास रखने वालों के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. कल्पभेद के अनुसार, नारायण को आदिगुरु माना जाता है, इसलिए गुरु पूर्णिमा मनाने की परंपरा भगवान नारायण के काल से चली आ रही है.
गुरु पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को पीली वस्तु का दान करना चाहिए. चने की दाल, बेसन, पीले वस्त्र, पीले रंग की मिठाई या गुड़ आदि का दान कर सकते हैं, मान्यता है इससे ज्ञान, बुद्धि, सुख में वृद्धि होती है.
गुरु पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग, शुक्रादित्य योग, शश योग, कुबेर योग और षडाष्टक योग का निर्माण होने जा रहा है. इन शुभ योग में गुरु जी की पूजा करने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
कुंडली में गुरु दोष हो तो जीवन में बाधाएं आती हैं. इसे दूर करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का ध्यान रखें. साथ ही 108 बार 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः' मंत्र का जाप करें.
गुरु पूर्णिमा पर गुरु गुरु के समान व्यक्ति के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. घर के बड़े बुजुर्ग दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, बड़े भाई या ब्राह्मण के भी पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले सकते हैं. अपने गुरुओं को उपहार में भी कुछ दें सकते हैं.
गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. वहीं मान्यता है कि इस पावन दिन पर शिव जी ने अपने पहले सात शिष्यों (सप्तर्षियों) को सर्वप्रथम योग का विज्ञान प्रदान किया था. गुरु पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और गुरुओं को गुरु दक्षिणा देने का महत्व है. ये गुरु के प्रति सम्मान, प्रेम प्रकट करने का दिन है.
- आषाढ़ पूर्णिमा तिथि शुरू - 20 जुलाई 2024, शाम 05.59
- आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त - 21 जुलाई 2024, दोपहर 03.46
- पूजा मुहूर्त - सुबह 07.19 - दोपहर 12.27
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Guru Purnima 2024 Highlight:: गुरु का हमारे जीवन में विशेष महत्व है. सिर्फ इंसान ही नहीं भगवान ने भी गुरुओं से ही ज्ञान प्राप्त किया है.श्रीकृष्ण (Krishna ji) के गुरु सांदीपनि थे. श्रीराम ने ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र (Vishwamitra)से ज्ञान प्राप्त किया, भगवान दत्तात्रेय (Dattatreya) ने 24 गुरु बनाए थे. हनुमान जी (Hanuman ji)ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था. शनि देव शिव जी को अपना गुरु मानते हैं.
यही वजह है कि गुरु का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है. इनकी कृपा और आशीर्वाद के बिना जीवन में सफलता पाना नामुमकिन है. इस साल गुरु पूर्णिमा जुलाई में कब है, पूजा का मुहूर्त, पूजन विधि, उपाय, नियम आदि सब यहां जानें.
गुरु पूर्णिमा जुलाई में कब ? (Guru Purnima 2024 Date)
गुरु पूर्णिमा आज रविवार, 21 जुलाई 2024 को है. इस दिन गुरु वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. वेद व्यास जी ने वेदों का संपादन किया, गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस तिथि का दान-पुण्य, धर्म-कर्म आदि की दृष्टि से अपना विशेष महत्व है.
गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि (Guru Purnima 2024 Tithi)
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई 2024 को शाम 05 बजकर 59 से शुरू होगी और इसका समापन 21 जुलाई 2024 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा.
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima Significance)
सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है. ग्रंथों में गुरु की महिमा का वर्णन इस श्लोक में किया गया है - गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः अर्थात गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं, गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, उन सद्गुरु को प्रणाम. श्लोक से ही स्पष्ट हो जाता है कि सनातन धर्म में गुरुओं का स्थान कितना खास है.
मनुष्य को सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी, इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है. यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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