Guruwar Puja: इस साल 12 मई को देवों के गुरु बृहस्पतिदेव का दिन गुरुवार पड़ रहा है. इसी दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी भी है और गुरुवार को ही उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण मातंग नाम का शुभ योग भी बन रहा है. इस समय गुरुवार पूजा या मोहिनी एकादशी का व्रत करने से अति शुभ लाभ की प्राप्ति होती है. इस शुभ योग में पूजा और व्रत का फल अति शीघ्र प्राप्त हो जाता है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप का अवतार लिया था. अपने इसी रूप से भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पान कराया था और राक्षसों के पराजय में अहम भूमिका निभाई थी. इसीलिए मोहिनी एकादशी के दिन सभी कष्टों से निवारण के लिए, धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए लोग व्रत रखते हैं.


माता लक्ष्मी और श्री हरि नारायण की पूजा करते हैं. गुरुवार का दिन गुरु महत्ता होने के साथ-साथ भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय भी है. इस दिन भगवान विष्णु की मां लक्ष्मी के साथ पूजा करने पर मनवांछित फल प्राप्त होता है.


पूजा विधि


12 मई दिन गुरुवार को मोहिनी एकादशी का व्रत है. इस दिन विशेष रुप से भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है. सुबह-सुबह स्नान करके व्रत करता पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु को पीले आसन पर बिठाकर माता लक्ष्मी के साथ पूजा अर्चना करें. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा पर दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें. शंख समुद्र मंथन के पश्चात समुद्र से प्राप्त 14 रत्नों में से एक रत्न है. इसीलिए मां लक्ष्मी को अत्यधिक प्रिय है.


शंख को माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है. दक्षिणावर्ती शंख में दूध केसर डालकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का अभिषेक करने से समस्त दुखों का नाश हो जाता है. घर परिवार  के सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है. गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है, और धन आगमन की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए एकाग्र मन और शांति चित्त से भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करके आरती करें.


व्रत के पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं. यथाशक्ति दान दक्षिणा दें, इससे घर में धन वैभव और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है.



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