Guruvar Vrat Katha: ब्रह्माजी के मानस पुत्र महर्षि अंगिरा के तीन पुत्र हुए बृहस्पति, उतथ्य और संवर्त. इनमें बृहस्पति सबसे ज्येष्ठ हैं.जिनकी गुरुवार को पूजा करने से धन, विद्या, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और कई अन्य मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. गुरुवार के दिन व्रत और कथा सुनने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं गुरुवार व्रत कथा के बारे में.
व्रत-दान करना रानी को नहीं था पसंद
प्राचीन काल की बात है. किसी राज्य में एक बड़ा प्रतापी और दानी राजा राज करता था. वह हर गुरुवार को व्रत रखकर दीन-दुखियों की मदद करके पुण्य प्राप्त करता था, परंतु ये बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी. वह न तो व्रत करती थी और राजा को भी दान देने, व्रत करने से मना करती थी. एक बार राजा शिकार के लिए गए थे. उस दिन गुरु बृहस्पतिदेव साधु का रूप धारण कर भिक्षा मांगने आए. साधु ने जब रानी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी, हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं. आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे कि सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं.
रानी ने क्यों कही सारा धन नष्ट होने की बात
बृहस्पतिदेव ने रानी को धन का प्रयोग पुण्य कार्य में लगाने की बात कही.परंतु साधु की बातों से रानी को खुशी नहीं हुई. उसने कहा कि मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं और जिसे संभालने में मेरा सारा समय नष्ट हो जाए.साधु ने रानी को घर गोबर से लीपने, बालों को पीली मिट्टी से धोने, भोजन में मांस-मदिरा का प्रयोग करने को कहा और बोले इससे सारा धन नष्ट हो जाएगा. फिर बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए.
भोजन को तरस गए राजा-रानी
साधु के अनुसार कही बातों को पूरा करते हुए रानी को केवल तीन बृहस्पतिवार ही बीते थे कि उसका समस्त धन नष्ट हो गया. भोजन के लिए राजा का परिवार तरसन लगा. राजा पैसे कमाने दूसरे देश में लकड़ी बेचने लगे.रानी की ऐसी हालत का पता जब उसकी बड़ी बहन को लगा तो उससे मिलने आई. रानी ने अपनी पीड़ा बहन को बताई. रानी की बहन बोली, भगवान बृहस्पतिदेव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो.
गुरुवार का व्रत कर वापस मिली धन-संपत्ति
पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहन के आग्रह करने दासी ने देखा तो अनाज से भरा एक घड़ा मिल गया. रानी ने बहन से बृहस्पतिवार व्रत करने की इच्छा बताई.बहन ने उसे पूजा की विधि से लेकर व्रत में क्या खाएं क्या नहीं सब बताया. रानी ने बहन के बताए अनुसार व्रत किया लेकिन उसे पीला भोजन की चिंता थी उस दिन बृहस्पतिदेव एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर दो थालों में पीला भोजन दासी को दे गए. इस तरह हर गुरुवार को व्रत कर रानी ने फिर से धन-संपत्ति पा ली.दासी के कहने पर रानी दान-पुण्य भी करने लगी इससे पूरे नगर में उसका यश बढ़ने लगा. और जीवन खुशहाल हो गया.
Jagannath Yatra 2022: इस दिन निकलेगी रथ यात्रा, जानिए भगवान जगन्नाथ को क्यों प्रिय है खिचड़ी का भोग