Guruwar Puja: गुरुवार की पूजा में दीपक जलाते समय रखें इन बातों का ध्यान, एक गलती पड़ सकती है भारी
Guruwar Puja: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित हैं. इनकी पूजा दीपक जलाने के कुछ नियम हैं जिनका पालन करने पर ही पूजा का फल मिलता है. आइए जानते हैं.
Guruwar Puja: पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान और और हर शुभ काम में दीपक जलाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि पूजन में जब दीपक प्रज्वलित किया जाता है तो वहां भगवान स्वंय मौजूद होते हैं. कहा जाता हैं कि दीपक जलाए बिना कोई भी पाठ पूजा संपन्न नहीं होता है.शास्त्रों में हर देवी-देवता के लिए विशेष दीपक बताए गए हैं. किस देवी-देवता के दीए में तेल या घी होगा और कौन सी बत्ती का प्रयोग करें, इस बात का भी ध्यान रखा जाता है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित हैं. इनकी पूजा दीपक जलाने के कुछ नियम हैं जिनका पालन करने पर ही पूजा का फल मिलता है. आइए जानते हैं.
गुरुवार की पूजा दीपक जलाने के नियम (Lighting Deepak Rules)
गुरुवार को भगवान विष्णु (Vishnu ji) और बृहस्पति (Brihaspati) की पूजा में घी का दीपक जलाएं. घी का दीपक सुख-समृद्धि लाता है. शास्त्रों के अनुसार इनकी आराधना के वक्त दीपक हमेशा जोड़े में लगाना चाहिए, जैसे दो, चार आदि. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रूई की 16 बत्तियों का दीपक सबसे उत्तम माना गया है. इसे 16 मुखी दीपक कहा जाता है. देवी-देवताओं की पूजा में घी का दीपक उनके दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए. देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा में कभी सरसों के तेल का दीप नहीं जलाना चाहिए, इसे अनुचित माना गया है. मान्यता है इससे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.
दीपक जलाने की सही दिशा (Right Direction of Deepak)
अपने ईष्टदेव की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना गया है. यही वह समय होता है जब साधक एकाग्रता के साथ भगवान का स्मरण कर पाता है. देवी-देवताओं की पूजा में पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके दीपक जलाना चाहिए. पश्चिम में दिशा में दीपक रखने से धन हानि होती है. वहीं दक्षिण दिशा यम और पितरों की मानी जाती है.
ऐसा न हो दीपक
पूजा में आटे, मिट्टी, पीतल, स्टील औऱ अष्टधातु के दीपक जलाए जाते हैं लेकिन ध्यान रहे कि ये दिए खंडित नहीं होना चाहिए. टूटे हुए दीपक का इस्तेमाल घर में नकारात्मकता का संकेत देता है. इससे पूजा का फल नहीं मिलता.
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