हनुमान जयंती: पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से दूर होगी धन की समस्या, आज के दिन सुनें ये कथा
Bhagwan Shri Hanumanji: हनुमान जयंती पर हनुमान जी के सभी रूपों की पूजा होती है लेकिन उनका एक ऐसा रूप है जिसकी महिमा अपार है. मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन जो कोई हनुमान जी के स्वरुप की पूजा करता है उसे मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.
Hanuman Jayanti 2020: हनुमान जयंती का इंतजार हनुमान भक्त वर्षभर करते हैं. हनुमान जी को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ दिन माना गया है. इस दिन विधि पूर्वक हनुमान जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. जीवन में चल रहे संकट दूर होते हैं. रोग और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
पंचमुखी हनुमान जी
जीवन में जब बहुत कठिन समय आ जाए तो हनुमान जी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए. ऐसा विद्वानों का मानना है. धन संबंधी जब बड़ी समस्या आ जाए तो पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. घर में भी पंचमुखी हनुमान जी की फोटो लगाने से नकारात्मकता का नाश होता है संकटों से बचने के लिए प्रति दिन पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए.
पंचमुखी हनुमान जी की कथा
जब रावण को अपनी पराजय दिखाई देने लगी तो रावण के मायावी भाई अहिरावन ने अपने तंत्र-मंत्र से भगवान राम की सेना को गहरी नींद में सुला दिया और प्रभु राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया. कुछ समय बात जब अहिरावण के तंत्र-मंत्र का असर कम होने लगा तो विभिषण ने इस परिस्थिति को भांप लिया और हनुमान जी को पूरी बात बताई. विभिषण ने हनुमान से तुरंत भगवान राम और लक्ष्मण की सहायता के लिए पाताल लोक जाने के लिए कहा.
पाताल लोक पहुंचते ही हनुमान जी का सामना अहिरावण के पुत्र मकरध्वज से हुआ. हनुमान जी ने उसे युद्ध में हरा दिया. इसके बाद हनुमान बंधक भगवान राम और लक्ष्मण से मिले. अहिरावन मां भवानी का भक्त था. पाताल लोक में उसने पांच दीपक अलग अलग दिशाओं में जल कर रखे हुए थे. उसे श्राप था कि जो भी एक बार में इन सभी पांचों दीपकों को बुझा देगा वहीं उसका वध करेगा.
हनुमान जी ने इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया. उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख. इसके बाद उन्होंने एक साथ सभी दीपकों को बुझा दिया और इस प्रकार अहिरावण का वध हुआ. अहिरावण के मरने के बाद हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया.