Hanuman Jayanti 2020: शनि देव को हनुमान जी से उलझना पड़ा मंहगा, जानें क्या थी पूरी कथा
शनि ग्रह की छाया से भी लोग डरते हैं. शनि जिस व्यक्ति पर अपनी कुदृष्टि से डाल देते है उसे मुसीबतों को सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को एक क्रूर ग्रह माना गया है. लेकिन एक मौका ऐसा भी आया जब शनि देव को हनुमान से उलझना मंहगा पड़ गया.
Hanuman Jayanti: शनि के बार में कहा जाता है जिस पर शनि की दृष्टि पड़ जाती है वही उसका जीवन संकटों से भर देते हैं. शनि की ढैय्या और साढ़े साती से तो सभी परिचित हैं. इससे कोई भी नहीं बच पाता है. शनि की इस स्थिति को हर व्यक्ति को अपने जीवन में झेलना ही पड़ता है.
शनि जब आते हैं कि तो व्यक्ति का सबकुछ तहस नहस कर देते हैं. इसीलिए शनि के उपाय किए जाते हैं. कोई दान देता है तो कोई शनिदेव की पूजा करता है. शनि का दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा का विधान है. कहा जाता है हनुमान जी की पूजा करने से शनि की अशुभता कम हो जाती है और शनि देव शुभ फल देने लगते. दरअसल इसके पीछे एक कथा है. तो आइए जानते हैं इस कथा के बारे में-
हनुमान और शनि देव की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी रामभक्ति में डूबे हुए थे. तभी वहां से शनि देव का गुजरना हुआ. शनि देव को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था. वे किसी का भी जीवन तहस तहस कर सकते थे. इस कारण अंह में चूर होकर उनके मस्तिष्क ने हनुमान जी को अपनी वक्र दृष्टि और छाया से ढकने की कोशिश की. शनि देव हनुमान जी के पास पहुुंचे और उन्हें ललकारने लगे. शनिदेव ने कहा वानर देख तेरे सामने कौन आया है.
शनि देव काफी देर तक हनुमान जी का ध्यान भंग करने की कोशिश करते रहे है. लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने फिर प्रयास किया और कहा अरे ओ वानर, आंखें खोल. देख मैं तेरी सुख-शांति को नष्ट करने आया हूं. इस संसार में ऐसा कोई नहीं, जो मेरा सामना कर सके. शनि देव को भ्रम था कि इतना कहते ही हनुमान जी डर जाएंगे और क्षमा याचना करने लगेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हनुमान जी काफी देर बाद अपनी आंखों को खोला और बड़ी विनम्रता से पूछा महाराज! आप कौन हैं.
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हनुमान जी की इस को बात सुनकर शनि देव को गुस्सा आ गया. वे बोले अरे मुर्ख बन्दर. मैं तीनों लोकों को भयभीत करने वाला शनि हूं. आज मैं तेरी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं, रोक सकता है तो रोक ले. हनुमान जी ने तब भी विनम्रता को नहीं त्यागा और कहा कि शनिदेव क्रोध न करें कहीं ओर जाएं. वहां पर अपना पराक्रम दिखाएं. मुझे प्रभु श्रीराम का ध्यान करने दें.हनुमान जी ने जैसे ही ध्यान लगाने के लिए आंखों को बंद किया वैसे ही शनि देव ने आगे बढ़कर हनुमान जी की बांह पकड़ ली और अपनी ओर खींचने लगे. हनुमान जी को लगा, जैसे उनकी बांह किसी ने दहकते अंगारों पर रख दी हो. उन्होंने एक झटके से अपनी बांह शनि देव की पकड़ से छुड़ा ली. इसके बाद शनि ने विकराल रूप धारण उनकी दूसरी बांह पकड़नी चाही तो हनुमान जी को हल्का सा क्रोध आ गया और अपनी पूंछ में शनि देव को लपेट लिया.
इसके बाद भी शनि देव नहीं माने और उन्होंने ने हनुमान जी से कहा तुम तो क्या तुम्हारे श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इतना सुनने के बाद तो हनुमान जी का क्रोध आ गया और पूंछ लपेट कर शनि देव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब पटका और रगड़ा. इससे शनि देव का हाल बेहाल हो गया. शनि देव ने मदद के लिए कई देवी देवताओं को पुकारा लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया.
अंत में शनि देव ने स्वयं ही कहा दया करो वानरराज. मुझे अपनी उद्दंडता का फल मिल गया. मुझे क्षमा कर दें. भविष्य में आपकी छाया से भी दूर रहूंगा. तब हनुमान जी बोले मेरी छाया ही नहीं मेरे भक्तों की छाया से भी दूर रहोगे. तब से शनि हनुमान जी की पूजा करने वालों को परेशान नहीं करते हैं. इसलिए शनि को शांत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है.
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