भीम में हजारों हाथियों का बल था. इस कारण भीम को एक बार अपनी शक्ति पर घमंड हो गया. भवगवान इस बात को जान गए और भीमा के इस अहंकार को मिटाने के लिए हनुमान जी को भेज दिया.
भीम और हनुमान की कथा
हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में जब पांडवों को 12 वर्ष का वनवास मिला तो वे एक वर्ष तक अज्ञातवास में भी रहे. वनवास के दौरान अर्जुन देवराज इंद्र से दिव्य शस्त्र पाने के लिए हिमालय में तपस्या करने चले गए. शेष चार पांडव और द्रौपदी साथ रह रहे थे. फिर एक दिन उत्तर पूर्व दिशा से एक कमल का पुष्प द्रौपदी के पास उड़ कर आया. वह पुष्प बहुत ही सुगन्धित था. इसकी सुगंध से द्रौपदी उस कमल पुष्प पर मोहित हो गईं.
द्रोपदी ने भीम से इस तरह के और पुष्प लाने के लिए कहा. भीम, द्रौपदी की इच्छा को पूरा करने के लिए उस कमल पुष्प की खोज में निकल पड़े. पुष्प की खोज करते करते वे एक वन में पहुंचे. वन के द्वार के पास ही एक वानर लेटा हुआ था.
भीम ने उस वानर से हट जाने को कहा. लेकिन वानर ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद वानर ने कहा कि मैं बुढ़ा हो चुका हूं और कमजोर भी हूं, तुम्हें जाना है तो मुझे लाँघ कर चले जाओ.
इस बात पर भीम को क्रोध आ गया और क्रोध में ही वानर को हट जाने की चेतावनी दे डाली. भीम ने कहा कि मैं माता कुंती का पुत्र हूं और भगवान पवन मेरे पिता हैं. मैं भीम हूं, प्रसिद्ध हनुमान का भाई. तो, यदि तुम बात नहीं मानोगे तो मेरा क्रोध सहन करना होगा. वानर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा और कहा कि ठीक है तुम जाना ही चाहते हो तो मेरी पूंछ को हटाकर निकल जाओ.
लेकिन जैसे ही भीम ने वानर की पूंछ उठाने की कोशिश की तो वो टस से मस नहीं हुई. भीम को आश्र्चय हुआ. इसके बाद वानर ने भीम से प्रश्न किया कि तुमने शक्तिशाली हनुमान के बारे में सुना है. इस भीम ने कहा उन्हें भला कौन नहीं जानता. काफी देर तक पूंछ नहीं हिली तो भीम को शंका हुई और हाथ जोड़कर पूछा है कि आप कौन हैं. इस उन्होंने कहा मैं ही हनुमान हूं. भीम ने उनका आर्शीवाद लिया.
Hanuman Jayanti 2020: शनि देव को हनुमान जी से उलझना पड़ा मंहगा, जानें क्या थी पूरी कथा