Hanuman Jayanti 2023: भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी का जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. चैत्र पूर्णिमा 5 अप्रैल को सुबह 09.19 से 6 अप्रलै 2023 को सुबह 10.04 मिनट तक रहेगी. पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती 6 अप्रैल 2023 के दिन मनाई जाएगी. हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी के 108 नामों का जाप करने से भय, कष्ट, दरिद्रता दूर होते हैं. बजरंगबली का सबसे प्रसिद्ध नाम हनुमान है लेकिन क्या आप जानते हैं वानरराज केसरी और माता अंजनी के पुत्र मारुति का नाम हनुमान कैसे पड़ा, इसके पीछे बेहद रोचक कहानी है आइए जानते हैं.
कैसे पड़ा मारुति का नाम हनुमान ? (Why Maruti Called Hanuman Names Story)
पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति है. मारुति बालपन से ही बहुत शक्तिशाली थे. बालअवस्था में एक बार नींद से जागने पर मारुति को बहुत भूख लगी. उन्हें पेड़ पर की आड़ में एक लाल फल दिखाई दिया. भूख मिटाने के लिए मारुति को वह फल खाने की लालसा हुई. उन्होंने उसे निगल लिया. इसके बाद पूरे संसार में अंधेरा छा गया दरअसल मारुति को जो लाल फल लग रहा था वो कोई और नहीं बल्कि स्वंय सूर्यदेव थे.
फल समझकर सूर्य को निगल गए मारुति (Hanuman Eat surya Dev story)
सूरज को निगले के बाद सृष्टि अंधकार में डूब गई, देवता से लेकर मानव सभी परेशान हो गए. तब सभी देवताओं ने मारुति से सूरज को बाहर उगलने की विनती की लेकिन मारुति ने अपने बाल हठ में किसी की न सुनी. आखिर में विवश होकर भगवान इंद्र को अपना व्रज उठाना पड़ा. इंद्र देव ने अपने व्रज से मारुति के हनु यानी ठोड़ी पर प्रहार किया, जिससे हनुमान जी का हनु टूट गया. इसके कारण ही उनका नाम ‘हनुमान’ पड़ गया. हनुमान चालीसा में भी इस घटना का जिक्र किया गया है.
हनुमान जी के 108 नाम (Hanuman 108 Names)
- वायुपुत्र
- हनुमत
- महावीर
- रामदूताय
- भीमसेन सहायकृते
- कपीश्वराय
- महाकायाय
- महाबलपराक्रमी
- वानराय
- केसरी सुताय
- शोक निवारणाय
- कपिसेनानायक
- कुमार ब्रह्मचारिणे
- अंजनागर्भसंभूताय
- विभीषणप्रियाय
- वज्रकायाय
- रामभक्ताय
- लंकापुरीविदाहक
- सुग्रीव सचिवाय
- पिंगलाक्षाय
- हरिमर्कटमर्कटाय
- रामकथालोलाय
- सीतान्वेणकर्त्ता
- वज्रनखाय
- रुद्रवीर्य
- रामभक्त
- वानरेश्वर
- ब्रह्मचारी
- आंजनेय
- रक्षाविध्वंसकारी
- परविद्यापरिहारी
- परमशौर्यविनाशय
- मारुतात्मज
- तत्वज्ञानप्रदाता
- सीता मुद्राप्रदाता
- अशोकवह्रिकक्षेत्रे
- सर्वमायाविभंजन
- सर्वबन्धविमोत्र
- परमंत्र निराकर्त्रे
- परयंत्र प्रभेदकाय
- सर्वग्रह निवासिने
- सर्वदु:खहराय
- सर्वलोकचारिणे
- मनोजवय
- पारिजातमूलस्थाय
- सर्वमूत्ररूपवते
- सर्वतंत्ररूपिणे
- सर्वयंत्रात्मकाय
- सर्वरोगहराय
- प्रभवे
- सर्वविद्यासम्पत
- भविष्य चतुरानन
- रत्नकुण्डल पाहक
- चंचलद्वाल
- गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
- कारागृहविमोक्त्री
- बालार्कसदृशनाय
- दशग्रीवकुलान्तक
- लक्ष्मण प्राणदाता
- सर्वबंधमोचकाय
- सागरोत्तारकाय
- प्रज्ञाय
- प्रतापवते
- महाद्युतये
- चिरंजीवने
- दैत्यविघातक
- अक्षहन्त्रे
- कालनाभाय
- कांचनाभाय
- पंचवक्त्राय
- महातपसी
- लंकिनीभंजन
- श्रीमते
- सिंहिकाप्राणहर्ता
- लोकपूज्याय
- धीराय
- शूराय
- दैत्यकुलान्तक
- मार्तण्डमण्डलाय
- विनितेन्द्रिय
- रामसुग्रीव सन्धात्रे
- महारावण मर्दनाय
- स्फटिकाभाय
- सुरारर्चित
- महातेजस
- रामचूड़ामणिप्रदाय
- कामरूपिणे
- मैनाकपूजिताय
- वागधीक्षाय
- नवव्याकृतपंडित
- चतुर्बाहवे
- दीनबन्धवे
- महात्मने
- भक्तवत्सलाय
- अपराजित
- शुचये
- योगिने
- अनघ
- अकाय
- तत्त्वगम्य
- लंकारि
- वाग्मिने
- दृढ़व्रताय
- कालनेमि प्रमथनाय
- दान्ताय
- शान्ताय
- प्रसनात्मने
- शतकण्ठमदापहते
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