मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन पूजा-पाठ के साथ भक्त व्रत भी रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले  सभी कष्टों और संकटों का दूर करते हैं. हनुमान जी को जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता के नाम से भी जाना जाता है. अंजनी पुत्र हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा के बाद ये आरती अवश्य करनी चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि किसी भी देवता की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक आरती पूरी न हो जाए. 


इसलिए हनुमान जी की पूजा के अंत में उनकी आरती अवश्य करें. कहते हैं कि हनुमान जी की आरती कर्पूर से करना ज्यादा शुभ होता है. थाली में सिंदूर या रोली से स्वास्तिक बनाएं और उसके ऊपर फूल और अक्षत अर्पित करें. इसके बाद थाली में या फिर किसी कटोरी में कर्पूर जलाकर हनुमान जी की आरती करें. आरती के बाद हनुमान जी को लड्डू  का भोग लगाया जाता है. मंगलवार को नियमित रूप से ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. 



मंगलवार को करें हनुमान जी की आरती


आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।


अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।


लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।


बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।


कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।


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